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Kumbh 2019: कुंभ में आने वाले नागा साधुओं के बारे में वो बातें, जिससे आप भी होंगे अंजान

कुंभ मेले में नागा साधु सबके आकर्षण का केंद्र होते हैं. वैसे आपने साधुओं की रहस्‍यमयी दुनिया के बारे में तो जरूर सुना होगा.

Updated: January 7, 2019 11:52 AM IST

By sujeet kumar upadhyay

kumbh mela
File Pic

लखनऊ: यूपी के प्रयागराज में 15 जनवरी से कुंभ 2019 का आगाज होने जा रहा है. जो कि चार मार्च तक चलेगा. इस मेले में देश-विदेश से लाखों लोग यहां शाही स्‍नान करने के लिए पहुंचेंगे. कुंभ मेले में नागा साधु बड़ी संख्‍या में यहां पर पहुंचेंगे. दरअसल, कुंभ मेले में नागा साधु सबके आकर्षण का केंद्र होते हैं. वैसे आपने साधुओं की रहस्‍यमयी दुनिया के बारे में तो जरूर सुना होगा.

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नागा साधु का जीवन सबसे अलग और निराला होता है. ऐसा कहा जाता है कि साधु-महात्‍माओं में नागा साधुओं को हैरत भरी नजरों से देखा जाता है. इनको गृहस्थ जीवन से काई मतलब नहीं होता है. इनका जीवन कई कठिनाईयों से भरा हुआ होता है. इन लोगों को दुनिया में क्‍या हो रहा है, इस बारे में इन्‍हें कोई मतलब नहीं है. इनके बारे में हर एक बात निराली होती है. आपने नागा साधुओं की जटाओं को देखा होगा. इनकी जटाओं के बारे में कहा जाता है कि अखाड़ों के वीर शैव नागा संन्‍यासियों के पास लंबी जटाओं को बिना किसी भौतिक सामग्री उपयोग के खुद रेत और भस्‍म से ही संवारना पड़ता है.

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क्‍या है नागा साधुओं का पंच केश

देश में जब-जब कुंभ और अर्द्ध कुंभ मेला लगता है, तब-तब नागा साधुओं के दर्शन होते हैं. सदियों से नागा साधुओं को आस्था के साथ-साथ हैरत और रहस्य की दृष्टि से देखा जाता रहा है. इसमें कोई शक नहीं कि आम जनता के लिए ये कुतूहल का विषय हैं, क्योंकि इनकी वेशभूषा, क्रियाकलाप, साधना-विधि आदि सब अजरज भरी होती है. ये किस पल खुश हो जाएं और कब खफा, कुछ नहीं पता. नागा साधुओं के 17 श्रंगारों में पंच केश(जिसमें लटों को पांच बार घूमा कर लपेटना) का बहुत महत्‍व है. यहां ऐसे-ऐसे केश प्रेमी साधु मौजूद हैं,‍ जिनकी लटें इतनी लंबी है कि इंज टेप छोटे पड़ जाएंगे.

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किसे कहते हैं नागा संन्‍यासी

‘नागा’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है, जिसका अर्थ पहाड़ होता है और इस पर रहने वाले लोग ‘पहाड़ी’ या ‘नागा संन्यासी’ कहलाते हैं. कच्छारी भाषा में ‘नागा’ से तात्पर्य ‘एक युवा बहादुर सैनिक’ से भी है. ‘नागा’ का अर्थ बिना वस्त्रों के रहने वाले साधु भी है. वे विभिन्न अखाड़ों में रहते हैं जिनकी परम्परा जगद्गुरु आदिशंकराचार्य द्वारा की गई थी. नागा साधु तीन प्रकार के योग करते हैं जो उनके लिए ठंड से निपटने में सहायक साबित होते हैं. वे अपने विचार और खानपान, दोनों में ही संयम रखते हैं. नागा साधु एक सैन्य पंथ है और वे एक सैन्य रेजीमेंट की तरह बंटे हैं. नागा साधुओं को विभूति, रुद्राक्ष, त्रिशूल, तलवार, शंख और चिलम धारण करते हैं.

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इतनी लंबी जटाएं

दुनिया के सबसे बड़े आध्‍यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुंभ मेले में शिरकत करने पहुंचे जूना अखाड़ा के हरियाणा हिसार से पहुंचे एक नागा साधु ने बताया कि उनकी जटा करीब दस फीट लंबी है और पिछले 30 साल से अधिक समय से उसकी सेवा कर रहे हैं. उन्‍होंने बताया कि नागा साधु बढ़ी और उलझी जटाओं को भस्‍म से संवारते हैं. उन्‍होंने बताया कि किसी भी संन्‍यासी के लिए अपने जटा-जूट को संभालना जीव-जगत के दर्शन की व्‍याख्‍या से कम पेचीदा नहीं है.

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Published Date: January 7, 2019 11:50 AM IST

Updated Date: January 7, 2019 11:52 AM IST