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वास्‍तु टिप्‍स: प्‍लाट खरीदने से पहले जान लें भूमि का प्रकार, पैसा उगलेगी या करेगी बर्बाद, ऐसे करें पहचान

प्‍लाट की भूमि किस तरह की है और यह शुभ होगी या नहीं, अगर जमीन की मिट्टी का प्रकार ठीक हो तो यह पैसे उगने वाली साबित होती है और अगर खराब है तो यह बर्बादी की ओर ले जाने वाली भी हो सकती है

Published: April 27, 2022 7:15 AM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Laxmi Narayan Tiwari

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(फोटो प्रतीकात्‍मक)

मकान हर किसी की प्राथमिक और प्रथम आवश्‍यकताओं में से एक है. कोई व्‍यक्ति बना बनाया मकान खरीदता है तो कोई प्‍लाट खरीदकर भवन, बंग्‍ला, कोठी आदि का निर्माण करता है. भारतीय वास्‍तुशास्‍त्र के सिद्धांत के मुताबिक, अगर आपको भवन, फैक्‍ट्री, ऑफिस, शिक्षण संस्‍थान या अन्‍य कार्यों के लिए निर्माण कराना है तो कैसी भूमि का चयन करें. वैसे तो भूमि चयन में कई बातों का ध्‍यान रखा जाता है, लेकिन वास्‍तुशास्‍त्र के मुताबिक भूमि चयन के लिए सबसे पहले प्‍लाट की मिट्टी के प्रकार को देखा जाना चाहिए. देखना होगा कि जमीन के टुकड़े यानि प्‍लाट की भूमि किस तरह की है और यह शुभ होगी या नहीं, इस पर काफी विस्‍तार से नियम प्रतिपादित किए हैं. आज हम यहां जानेंगे कि प्‍लाट किस तरह की भूमि का होना चाहिए यानि उसकी मिट्टी का प्रकार क्‍या है और यह लाभकारी होगी या नहीं. अगर भूमि की मिट्टी का प्रकार ठीक हो तो यह पैसे उगने वाली साबित होती है और अगर खराब है तो यह बर्बादी की ओर ले जाने वाली भी साबित होती है. आइए हम यहां जानते हैं कि भूमि कितने प्रकार की होती है.

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भूमि के प्रकार

1. प्रथम प्रकार की भूमि सफेद रंग वाली होती है. इसे ब्राम्‍हणी भूमि कहते हैं.

स्‍वाद: मधुरता लिए होती है
गंध: सुंदर
स्‍पर्श: सुखदायक
किसके लिए शुभ: गृहस्‍थों के लिए शुभ, ऐसी भूमि में घर बनाकर रहने से रहने वाले परिवार को विद्या यानि ज्ञान की देवी सरस्‍वती और लक्ष्‍मी की कृपा बनी रहती है.

इन कार्यों के लिए शुभ: यूनिवर्सिटी, स्‍कूल, साहित्‍य‍िक संस्‍था, मंदिर, धर्मशाला व मांगलिक कार्यों के उपयोग में आने वाले हॉल, भवन आदि का निर्माण करना चाहिए.

2. लाल रंग की मिट्टी वाली भूमि. इसे क्षत्र‍ि भूमि भी कहा जाता है

स्‍वाद: कषैली
गंध: रक्‍त गंध से मिश्रित
स्‍पर्श: कठोर
किसके लिए शुभ: यह राजकीय कार्यों के लिए सबसे अधिक उपयुकत होती है. प्रशासनिक सेवा व महत्‍वपूर्ण पदों बैठे लोगों के ऑफिस आदि के लिए उपयुक्‍त होती है. ऐसी भूमि पर कार्य करने की ऊर्जा अपने आप मिलती है. पराक्रम को प्रभावी करती है.

इन कार्यों के लिए शुभ: सरकारी ऑफिस, सैन्‍य बल, सुरक्षा बला, पुलिस बल के जवानों के लिए भवन बनना चाहिए. मीटिंग हाल, सभागार, सैनिक छावनी, सैनिक कॉलौनी, जेल, आर्म्‍स स्‍टोर्स, शास्‍त्रागार आदि का निर्माण करना चाहिए.

3. पीले या हरे रंग की मिट्टी वाली भूमि. ऐसी मिट्टी वाली भूमि को वैश्यिणी कहते हैं

स्‍वाद: खट्टी व
गंध: शहद जैसी मिश्रित गंध
किसके लिए शुभ: यह भूमि व्‍यवसायियों के लिए सबसे अधिक शुभ होती है. ऐसी भूमि धन प्रदान करने वाली होती है.
इन कार्यों के लिए शुभ बिजनेस क्‍लास के लोगों को ऐसी भूमि पर अपने बंगले कोठी, व्‍यवसायिक प्रतिष्‍ठान आदि बनाना चाहिए.

4. भूमि के चौथे प्रकार में काली मिट्टी होती है. इसे शूद्रा भी कहते हैं.

स्‍वाद : कड़वा
गंध : मदिरा
स्‍पर्श: कठोर
किसके लिए शुभ: वैसे तो त्‍याज्‍य है. लेकिन इसके भी उपयोग हैं.

इन कार्यों के लिए उपयुक्‍त: सिर्फ उद्योग धंधों के लिए.
ऐसी भूमि को इन कार्यों के लिए त्‍यागना चाहिए: कुष्‍ठ आश्रम, लेबर कॉलौनी, श्‍मशान आदि

इस वास्‍तु शास्‍त्र की टिप्‍स की सीरीज के लिए अगले क्रम में बताएंगे कि हमें भूमि का चयन करते हुए किन बातों का विषेश ध्‍यान रखना चाहिए.

(नोट: भारतीय वास्‍तुशास्‍त्र के सिद्धांत प्राचीन वैदिक ज्ञान की परंपरा के प्रतिपादित स्‍थापत्‍य सिद्धांतों पर आधिरित नियम या अवधारणाएं हैं, जो पंचतत्‍व, पृथ्‍वी, आकाश, वायु, जल, अग्‍नि की शक्ति को संतुलित करने के नियमों पर आधारित है. इंडिया डॉटकॉम हिंदी किसी भी तरह की अंध विश्‍वास या रूढ़ि को बढ़ावा नहीं देता है.)

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