Mysore Dussehra 2021: विश्वप्रसिद्ध मैसूर दशहरा के लिए तैयारियां पूरी, ऐसा भव्य होगा नजारा, जानें त्योहार से जुड़ी हर बात

दशहरा उत्सव का उद्घाटन 7 अक्टूबर को चामुंडी पहाड़ी के ऊपर पीठासीन देवता चामुंडेश्वरी की पूजा करने के बाद किया जाएगा.

Published: September 17, 2021 6:22 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Arti Mishra

Mysore Dasara
Image courtesy: Getty

Mysore Dussehra 2021: कर्नाटक ने मैसूर दशहरा के उत्सव के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी, जिसे ‘नाडा हब्बा’ (राज्य त्योहार) के रूप में माना जाता है. इसमें उत्सव में शामिल आठ हाथियों के साथ गुरुवार को मैसूर पैलेस में ‘पूर्णकुंभ’ (पारंपरिक स्वागत) किया गया. हाथियों की टीम का नेतृत्व 55 वर्षीय अभिमन्यु करेंगे, जो 750 किलो का सुनहरा हाउदाह लेकर चलेंगे. जिसमें विजयदशमी के दिन देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति स्थापित की जाएगी.

अश्वत्थामा, धनंजय, विक्रमा, कावेरी, चैत्र, लक्ष्मी और गोपालस्वामी सहित सजे हाथियों ने सैक्सोफोनिस्ट, घुड़सवार पुलिस और पुलिस बैंड के संगीत के लिए जयमथंर्डा गेट के माध्यम से एक भव्य प्रवेश किया. जबकि जिला प्रभारी मंत्री एस.टी. सोमशेखर और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उन पर पुष्प वर्षा की.

अभिमन्यु, चैत्र और कावेरी से घिरा, पहली पंक्ति में था, गोपालस्वामी, धनंजय और लक्ष्मी उसके बाद अश्वत्थामा थे. विक्रम अंतिम पंक्ति में आया.

हालांकि, अश्वत्थामा, भविष्य के हाउदाह-हाथी के रूप में तैयार, गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान घबरा गया और लाइन तोड़ दी, जिससे हंगामा हुआ. हालांकि, महावत और कावड़ी इस पर लगाम लगाने में कामयाब रहे.

महावतों और कावड़ियों को खुशी के प्रतीक के रूप में स्वागत किट दिए गए और वे मैसूर पैलेस परिसर में अस्थायी तंबू में रहेंगे.

अधिकारियों ने कोविड संकट के बीच दशहरा उत्सव के सरल यात्रा कार्यक्रम की घोषणा की है. 150 सड़कों और 77 जंक्शनों और गोल चक्करों में फैली मैसूर सड़कों की 100 किलोमीटर लंबाई को रोशन करने का निर्णय लिया गया है.

शाम सात बजे से मैसूर पैलेस को रोशन किया जाएगा. 7 अक्टूबर से 15 अक्टूबर के बीच सभी दिनों में रात 9.30 बजे तक और शाम को छह दिनों के लिए सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करने का भी निर्णय लिया गया है.

उत्सव 13 सितंबर को मैसूर जिले के वीरानाहोसल्ली में ‘गजपायन’ (वन शिविरों से मैसूर पैलेस तक दशहरा के लिए चुने गए हाथियों की यात्रा) के शुभारंभ के साथ शुरू हुआ.

दशहरा उत्सव का उद्घाटन 7 अक्टूबर को चामुंडी पहाड़ी के ऊपर पीठासीन देवता चामुंडेश्वरी की पूजा करने के बाद किया जाएगा. फिर लोगों को ‘दर्शन’ करने के लिए चामुंडी पहाड़ी से मैसूर पैलेस तक एक जुलूस लाया जाएगा.

मशहूर ‘जंबो सावरी’ का आयोजन 15 अक्टूबर को अभिमन्यु के साथ स्वर्ण हाउदाह लेकर होगा और उनके साथ सात अन्य हाथी भी होंगे.

10-दिवसीय मैसूर दशहरा, जो नवरात्रि के नौ दिनों तक चलता है और फिर विजयदशमी, अश्विन के हिंदू कैलेंडर महीने में दसवें दिन मनाया जाता है, आमतौर पर सितंबर/अक्टूबर में पड़ता है.

बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हुए, विजयादशमी वह दिन है जब देवी चामुंडेश्वरी (दुर्गा) ने राक्षस महिषासुर का वध किया, जिसके नाम पर मैसूर का नाम रखा गया.

मैसूर परंपरा इस त्योहार के दौरान योद्धाओं और राज्य की भलाई के लिए लड़ने का जश्न मनाती है. देवी के साथ अपने योद्धा रूप में राज्य तलवार, हथियार, हाथियों, घोड़ों की पूजा और प्रदर्शन करती है. समारोह और एक प्रमुख जुलूस पारंपरिक रूप से मैसूर के महाराजा की अध्यक्षता में होता है.

मैसूर शहर में त्योहार को चिह्न्ति करने के लिए दशहरा उत्सव को भव्यता और धूमधाम से मनाने की एक लंबी परंपरा है और इसने 2019 में अपनी 409वीं वर्षगांठ को चिह्न्ति किया है.
(एजेंसी से इनपुट)

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