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Paush Purnima Vrat Vidhi: पौष पूर्णिमा के दिन काशी, हरिद्वार और प्रयागराज में गंगा स्नान करने का बहुत महत्व है और इस दिन लोग दूर-दूर से स्नान के लिए जाते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार पौष सूर्य देव का महीना कहलाता है और इसमें पूजा-उपासना से व्यक्ति के सभी रुके काम बनते हैं और भगवान की विषेश कृपा होती है. बता दें कि सूर्य और चंद्रमा का संगम पौष पूर्णिमा की तिथि को ही होता है. इस साल पौष पूर्णिमा 17 जनवरी को मनाई जाएगी. इस दिन लोग व्रत रखते हैं और दान करते हैं. पौष पूर्णिमा का व्रत विधि-विधान से रखा जाता है, चलिए जानते हैं कैसे करें पूजा.
पौष पूर्णिमा तिथि 17 जनवरी की रात 3 बजकर 18 मिनट से शुरू होने वाली है और 18 जनवरी को सुबह 5 बजकर 17 मिनट पर खत्म होगी. जो लोग 17 जनवरी को व्रत रखेंगे, उन्हें स्नान, दान और पूजा-पाठ अवश्य करना चाहिए, इससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और नकारात्मकता खत्म होती है. पौष पूर्णिमा के दिन मां दुर्गा ने शाकंभरी का रूप धारण किया था, इसलिए इसे शाकंभरी जयंती भी कहा जाता है. इस दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा भी होती है.
पौष पूर्णिमा के दिन स्नान के पहले आपको व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस दिन अगर आप पवित्र नदी या कुंड में स्नान करते हैं तो शुभ माना जाता है. स्नान के बाद आपको सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए और सूर्य देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए. इस दिन भगवान मधुसूदन की पूजा और आरती करने से घर में सुख-शांति आती है. पौष पूर्णिमा के दिन आपको जरूरतमंदों को कपड़े और भोजन दान करना चाहिए. दान में गुड़, तिल और कंबल देना चाहिए, जिससे घर में लक्ष्मी जी का वास होता है.
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