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Shattila Ekadashi 2022: जानिये कब है षटतिला एकादशी, क्‍या है महत्‍व, शुभ मुहूर्त और पूजा विध‍ि

Shattila Ekadashi 2022: षटतिला एकादशी के दिन तिल को पानी में डालकर उस पानी से स्‍नान करने और तिल का दान करने का खास महत्व है. जानिये षटतिला एकादशी कब है, इसे करने का क्‍या तरीका है और पारण का मुहूर्त क्‍या है. 

Published: January 23, 2022 8:26 PM IST

By Vandanaa Bharti

Jaya Ekadashi 2022
Jaya Ekadashi 2022

Shattila Ekadashi 2022: महीने में दो बार एकादशी आती है. एक कृष्‍ण पक्ष में और दूसरी शुक्‍ल पक्ष में. माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है. इस बार यह एकादशी 28 जनवरी 2022 को आ रही है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्‍णु की तिल चढाते हैं और तिल से बनी ख‍िचडी का प्रसाद चढाते हैं. षटतिला एकादशी व्रत में तिल का छ: रूप में उपयोग करना उत्तम फलदाई माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन तिल का दान, स्‍वर्ण दान के बराबर होता है और भगवान व‍िष्‍णु उसे अपनी कृपा देते हैं. ऐसे जातकों को मृत्‍यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है. यहां नीचे जानिये इसका महत्‍व, पूजा का समय और पूजन विध‍ि.

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षटतिला एकादशी महत्‍व (Shattila Ekadashi 2022 Significance)

जैसा कि इसके नाम से स्‍पष्‍ट है, षटतिला की पूजा में तिल का प्रयोग होता है. इस दिन छह तरह से तिल का प्रयोग करने का महत्‍व बताया गया है. तिल के जल से स्‍नान, पिसे हुए तिल का उबटन लगाना, तिलों का हवन करना, तिल मिला हुआ जल पीना, तिलों का दान करना, त‍िल से मिठाई और भोजन बनाना व खाना. शास्‍त्रों के अनुसार इस एकादशी को करने से कन्‍यादान और हजारों वर्षों की तपस्‍या तथा सवर्ण दान करने के बराबर पुण्‍य प्राप्‍त होता है. इस दिन दिल का दान करने से पापों का नाश होता है और भगवान विष्‍णु की विशेष कृपा प्राप्‍त होती है.

षटतिला एकादशी शुभ मुहूर्त (Shattila Ekadashi 2022 Shubh Muhurt)

षटतिला एकादशी तिथि आरंभ: 27 जनवरी, गुरुवार, रात्रि 02.16 से
षटतिला एकादशी तिथि समाप्तल 28 जनवरी, शुक्रवार रात्रि 11.35 पर
ऐसे में षटतिला एकादशी का व्रत 28 जनवरी को रखा जाएगा
पारण तिथि: 29 जनवरी, शनिवार, प्रातः 07.11 से 09.20 तक

षटतिला एकादशी व्रत विधि (Shattila Ekadashi 2022 Vrat Vidhi)

सुबह स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें.
इसके बाद गंध, फूल, धूप दीप, पान सहित विष्णु भगवान की षोड्षोपचार (सोलह सामग्रियों) से पूजा करें.
उड़द और तिल वाला खिचड़ी बनाकर भगवान व‍िष्‍णु को भोग लगाएं.
रात में हवन करें. हवन तिल से 108 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा के मंत्र का जाप करते हुए करें.
सुब्रह्मण्य नमस्तेस्तु महापुरुषपूर्वज। गृहाणाध्र्यं मया दत्तं लक्ष्म्या सह जगत्पते।। का जाप करते हुए अर्घ्‍य दें.
भगवान विष्‍णु की आरती करें और उसके बाद तिल युक्त भोजन करें.

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Published Date: January 23, 2022 8:26 PM IST