नई दिल्ली: धर्म को लेकर हमारे देश में तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं. देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित माना गया है. वहीं एक ऐसा मंदिर भी है, जहां प्रवेश करने और पूजा करने के इच्छुक पुरुषों को बकायदा महिलाओं की ड्रेस में आना पड़ता है. इस मंदिर में पूजा करने के लिए महिलाओं, किन्नरों पर कोई रोक नहीं है लेकिन पुरुष अगर इस मंदिर में पूजा-अर्चना करना चाहते हैं तो उन्हें महिलाओं की तरह पूरा सोलह श्रंगार करना पड़ता है.
ऐसा मंदिर, जहां प्रसाद नहीं जूतों की माला चढ़ाते हैं लोग…
यह खास मंदिर केरल के कोल्लम जिले में है, जहां पर श्री कोत्तानकुलांगरा देवी मंदिर में हर साल चाम्याविलक्कू त्योहार मनाया जाता है. इस त्योहार में हर साल हज़ारों की संख्या में पुरुष श्रद्धालु आते हैं. उनके लिए मंदिर में अलग से मेकअप रूम बनाया गया है. पुरुष महिलाओं की साड़ी पहनते हैं और जूलरी, मेकअप और बालों में गजरा भी लगाते हैं. इस उत्सव में शामिल होने के लिए कोई उम्र सीमा नहीं रखी गई है.
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मंदिर के ऊपर कोई छत नहीं
पुरुषों और महिलाओं के अलावा ट्रांसजेंडर भी इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने आते हैं. माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित देवी की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी. अपनी खास परंपरा और मान्यताओं के लिए दुनियाभर में मशहूर इस मंदिर के ऊपर कोई छत नहीं है. इस राज्य का यह ऐसा एकमात्र मंदिर है जिसके गर्भगृह के ऊपर छत या कलश नहीं हैं.
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मंदिर की स्थापना की कथा
ऐसी मान्यता है कि कुछ चरवाहों ने महिलाओं के कपड़े पहनकर पत्थर पर फूल चढ़ाए थे, जिसके बाद उस पत्थर से दिव्य शक्ति निकलने लगी. इसके बाद इसे मंदिर का रूप दिया गया. तभी से लेकर आज तक इसकी पूजा होती आ रही है. इसके अलावा मान्यता यह भी है कि कुछ लोग पत्थर पर नारियल फोड़ रहे थे और इसी दौरान पत्थर से खून निकलने लग गया और इसी के बाद से यहां देवी की पूजा होने लगी.
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