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Varuthini Ekadashi 2022 : हर माह आने वाली एकादशी बेहद ही महत्वपूर्ण और पवित्र होती है. शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों पक्षों की एकादशी का व्रत श्रद्धा पूर्वक रखा जाता है और विष्णु भगवान की आराधना की जाती है. बता दें कि इस बार वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी वरुथिनी एकादशी है यह एकादशी आज यानी 26 अप्रैल दिन मंगलवार को मनाई जा रही है. मान्यता है, आज के दिन यदि भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाए तो मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है. ऐसे में आज के दिन वरुथिनी एकादशी व्रत कथा पढ़नी जरूरी है. आज का हमारा लेख इस एकादशी व्रत कथा पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि वरुथिनी एकादशी व्रत कथा के बारे में. पढ़ते हैं आगे…
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान श्री कष्ण से युधिष्ठिर ने वरुथिनी एकादशी व्रत कथा के महत्व के बारे में बताने के लिए कहा. तब श्री कृष्ण ने कहा कि जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है उसे पुण्य की प्राप्ति होती है. इससे संबंधित कथा है कि नर्मदा नदी के तट पर राजा मांधाता का राज्य था. राजा मांधाता दानी और धर्मात्मा दोनों थे. एक बार जब वह जंगल में तपस्या कर रहे थे तो एक भालू आ गया और उनका पैर चबाने लगा. फिर वह राजा को घसीट कर जंगल के अंदर ले गया, जिसके कारण राजा की तपस्या भंग हो गई और वह घायल हो गए. तब उन्होंने अपने मन में हरि विष्णु का ध्यान किया और अपने प्राणों की रक्षा के लिए प्रार्थना की. भगवान विष्णु ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार कर भालू को प्रकट होकर अपने चक्र से मार गिराया. लेकिन भालू के वार से राजा मांधाता अपंग हो गए. उन्हें काफी दुख हो और कष्टों का सामना करना पड़ा. ऐसे में उन्होंने भगवान विष्णु से शारीरिक और मानसिक पीड़ा को दूर करने का उपाय पूछा. तब भगवान विष्णु ने कहा कि तुम्हारे पुराने कर्मों का फल तुम भोग रहे हो. ऐसे में तुम मथुरा जाकर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखो और साथ ही मेरे वराह अवतार की पूजा करो. ऐसा करने से दुख दूर होंगे और सभी कष्टों से छुटकारा मिलेगा.
नोट – इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है. india.com इसकी पुष्टि नहीं करता है. अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से संपर्क करें.
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