बाबा इतने बड़े महात्मा हैं वो थोड़ी ऐसा काम करेंगे. छोटा दिमाग है ना. आश्रम के बाबा निराला को अब पहलवान पम्मी पसंद आ गई थी. वो बस इस ताक में थे कि कब मौका मिले और कब पम्मी के शरीर पर गिद्द की तरह झपट कर नोंच डालें. एक हवस का पुजारी इससे ज्यादा और सोच भी क्या सकता है.