POK उपयुक्त समय पर भारत का हिस्सा होगा: पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल का दावा
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केजेएस ढिल्लन ने शनिवार को कहा कि उपयुक्त समय पर भारत का पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर नियंत्रण होगा

अहमदाबाद: लेफ्टिनेंट जनरल (Lt Gen Retd) केजेएस ढिल्लन ( KJS Dhillon) ने शनिवार को कहा कि उपयुक्त समय पर भारत का पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) पर नियंत्रण होगा, क्योंकि इस संबंध में संसदीय प्रस्ताव है. वर्ष 2019 में पुलवामा हमले के दौरान सेना के 15वीं कोर कमान का नेतृत्व कर चुके ढिल्लन ने अहमदाबाद स्थित कर्णावती विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘डिजाइन वीक’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बयान दिया.
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बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लन ने उस समय अहम कमान संभाली थी जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में विभाजित करने की योजना को अमली जामा पहनाया. ढिल्लन ने कहा, इस देश में बहुत सारे लोग थे, जो मानते कि अनुच्छेद 370 कभी समाप्त नहीं होगा. जब समय आया तो अनुच्छेद-370 चला गया. पीओके (Pakistan-occupied Kashmir) भी जब समय आएगा तो आएगा (भारत में). यह हमारी संसद का प्रस्ताव है. एक अच्छा लोकतंत्र होने के नाते, हम अपने संसदीय प्रस्ताव को लेकर प्रतिबद्ध हैं. पीओके उपयुक्त समय पर आएगा.
Retd Lt Gen केजेएस ढिल्लनने यह विचार तब रखा जब पूछा गया कि क्या पीओके कभी भारत के नियंत्रण में आएगा. ढिल्लन ने कहा, अनुच्छेद-370 और अनुच्छेद-35 ए (हटाने) के बाद गत 30 साल के इतिहास में कश्मीर का सबसे शांतिपूर्ण दौर रहा और इस तरह से मजबूत सरकार ने दिखाया कि कैसे मजबूत फैसले लेने के बाद यह सुनिश्चित किया जाता है कि वह लागू हो.
लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लन ने बताया कि शांति और कारोबार नजर आ रहा है, इलाके में पर्यटक आ रहे हैं. पूर्व सेनाधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से कश्मीर में पाबंदी और लॉकडाउन लगाने का दुष्प्रचार पूरी तरह से कुचल दिया गया है. रक्षा खुफिया एजेंसी के पूर्व महानिदेशक ने कहा कि अनुच्छेद-370 हटने के बाद धरना और पत्थरबाजी जम्मू-कश्मीर में अब नहीं हो रही है. उन्होंने यह भी कहा कि ‘पाकिस्तान आधारित प्रणाली और लोग जो कट्टरपंथी बनाने का काम कर रहे थे, उन्हें कुचल दिया गया है.
जनरल ढिल्लन ने कहा, बंद का आह्वान करने वाली हुर्रियत अब बिना अस्तित्व का संगठन है. कश्मीर अब शांत है. आतंकवाद की छिटपुट घटनाएं होती हैं, लेकिन उनपर भी लगाम लगाई जा रही है. उन्होंने दावा किया कि कश्मीर में पत्थरबाजों पर हुए अध्ययन दिखाते हैं कि आतंकवाद का रास्ता चुनने वाले दो तिहाई लोगों को लेकर यही संभावना है कि वे एक ही साल में मारे जाएंगे और इसका असर लोगों की मानसिकता पर पड़ता है. (इनपुट: भाषा)
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