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XI Asian Senior Kurash Championship: कैथल की बेटी मनप्रीत (Manpreet) ने तजाकिस्तान (Tajakistan) में हो रही एशियन कुराश चैंपियनशिप (Asian Kurash Championship) में कांस्य पदक जीत कर देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है. मनप्रीत के कैथल पहुंचने पर भव्य स्वागत समारोह का आयोजन किया गया. इस दौरान शहर में रोड शो भी निकाला गया. मनप्रीत ने कहा कि वह तजाकिस्तान में हो रही एशियन कुराश चैंपियनशिप में कांस्य पदक भारत के लिए जीत कर लाई है. उसका मुकाबला ताइपे, चाइना, उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान के खिलाड़ियों से हुआ. मनप्रीत ने कहा कि वह अपनी जीत का श्रेय अपने माता-पिता और अपने कोच को दे रही हैं. मनप्रीत ने कहा कि इन सबने मिलकर उसका हौसला बढ़ाया और फिर खेलने की प्रेरणा दी. उसका कहना है कि लड़कियों को घर से बाहर निकालना चाहिए, तभी वह देश के लिए कुछ कर सकेंगे. मनप्रीत का कहना है कि वह आगे और मेहनत करेगी और भारत की झोली में गोल्ड मेडल लाकर देगी.
मनप्रीत के माता-पिता ने भी कहा कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है. उन्होंने कहा कि बेटियां, बेटों से कम नहीं हैं, जो वह चाहती हैं उन्हें करने देना चाहिए. कैथल के विधायक लीलाराम ने इस मौके पर मनप्रीत की तारीफ की और कहा खिलाड़ी देश का नाम रोशन करते हैं. इस दौरान विधायक ने मनप्रीत के खेल के लिए पूर्ण सहयोग की बात कही. उन्होंने कहा कि कैथल की बेटी का पदक जीतना शहर के लिए ही नहीं प्रदेश के लिए भी गौरव की बात है.
एशियन गेम्स 2018 में कई ऐसे खेलों को शामिल किया गया है. जिनके बारे में शायद कम ही लोग जानते हैं . इनमें से एक ऐसा ही खेल है, कुराश. यह खेल यूं तो काफी प्रचलित लेकिन भारत के खिलाड़ियों का इसके प्रति रूझान कम है. कुराश कुछ हद तक पहलवानी और जूडो की तरह ही है. दोनों में बस इतना फर्क है कि दोनों के नियम थोड़े अलग हैं. कुराश उज़्बेकिस्तान की पारंपरिक मार्शल आर्ट की शैली है. अगर कुराश को आसान शब्दों में समझे तो यह कुश्ती का वह रूप है, जिसमें शरीर के निचले भाग का उपयोग नहीं किया जा सकता. इस खेल में कमर के नीचे के हिस्से को ना तो पकड़ा जाता है और ना ही हिट या उस पर किक मारी जा सकती है. कुराश को खेल का दर्जा मिले ज्यादा समय नहीं हुआ है, साल 1980 में ही इसे खेल माना गया. अगर इस खेल के नियम की बात करें तो इस खिलाड़ी को अपने विरोधी को ग्रांउड पर गिराना होता है. अगर वह खिलाड़ी अपने विरोधी को मजबूत तरीके से थ्रो करता है तो उसे खलोल कहा जाता है और वह उस बाउट का विजेता बन जाता है. इस खेल में पुरुष का मुकाबला 4 मिनट और महिलाओं का 3 मिनट का होता है.
(इनपुट-बिपिन शर्मा)
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