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निजी क्षेत्र की नौकरी में 75% आरक्षण, हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार के फैसले पर लगाई रोक, पूछा-क्यों देंगे?

हरियाणा सरकार ने निजी क्षेत्र की नौकरी में राज्य के युवाओं को 75% आरक्षण देने का फैसला किया था जिसपर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी.

Published: February 3, 2022 3:31 PM IST

By Kajal Kumari

punjab haryana high court
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Haryana News: हरियाणा सरकार ने राज्य के निवासियों को निजी क्षेत्र की नौकरी में 75 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की थी जिसपर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने आज रोक लगा दी है. राज्य मे  75 फीसदी नौकरी  प्रदान करने वाले भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार के हरियाणा स्टेट इंप्लाईमेंट आफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020 पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है और इसी के साथ हाई कोर्ट ने इस केस को एडमिट भी कर दिया है. अब हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट में अब विशेष अनुमति याचिका दायर करेगी. इस बारे में राज्य के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हम इसके लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे.

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15 जनवरी से ही यह एक्ट हरियाणा में लागू होना था

इससे पहले हाई कोर्ट ने फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की उस अर्जी को खारिज कर दिया था जिसमें इंडस्ट्री ने आरक्षण के खिलाफ उनकी याचिका पर 15 जनवरी से पहले सुनवाई की मांग की गई थी, इसकी वजह ये थी कि  15 जनवरी से यह एक्ट हरियाणा में लागू होना था, लेकिन कोरोना के कारण हाई कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई फरवरी में तय की थी.

इंडस्ट्री ने अपनी दायर अर्जी में कहा था कि अगर 15 जनवरी के बाद इस पर सुनवाई की गई तो उनकी याचिका का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा, इसलिए या तो एक्ट पर रोक लगाई जाए या इस पर जल्द सुनवाई की जाए. लेकिन हाई कोर्ट ने कहा कि इस पर फरवरी में ही सुनवाई होगी.

इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने फैसले के खिलाफ दी थी कोर्ट में चुनौती

बता दें कि निजी क्षेत्र की नौकरी में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले एक्ट को फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन व अन्य ने चुनौती दी हुई थी और इस मामले में हाई कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न वह सरकार के इस एक्ट पर रोक लगा दे. इस मामले में दायर याचिका में रोजगार अधिनियम 2020 को रद करने की मांग की गई थी. साथी ही इस याचिका में आशंका जताई गई थी कि इस कानून के लागू होने से हरियाणा से इंडस्ट्रीज का पलायन हो सकता है तथा यह वास्तविक कौशलयुक्त युवाओं के अधिकारों का हनन है.

याचिका के अनुसार हरियाणा सरकार का यह फैसला युवाओं की योग्यता के साथ अन्याय है. ओपन की जगह आरक्षित क्षेत्र से नौकरी के लिए युवाओं का चयन करना एक प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. याचिका में ये भी कहा गया था कि सरकार का यह फैसला अधिकार क्षेत्र से बाहर का व सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के खिलाफ है, इसलिए इसे रद किया जाए.

याचिका के अनुसार धरती पुत्र नीति के तहत राज्य हरियाणा सरकार निजी क्षेत्र में आरक्षण दे रही है है, जो नियोक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि निजी क्षेत्र की नौकरियां पूर्ण रूप से योग्यता व कौशल पर आधारित होती हैं.

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Published Date: February 3, 2022 3:31 PM IST