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दक्षिण अफ्रीकी चमगादड़ों में मिला कोरोना का 'NeoCov' वेरिएंट क्या इंसानों के लिए है घातक? WHO की तरफ से आई यह जानकारी

Coronavirus New Variant: दुनियाभर में ओमिक्रॉन (Omicron) और डेल्टा (Delta) के खतरों के बीच कोरोना के एक नए वेरिएंट का पता चला है. वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि नया वेरिएंट कोरोना के अन्य सभी वेरिएंट्स की तुलना में काफी घातक साबित हो सकता है.

Published: January 28, 2022 10:45 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Parinay Kumar

NeoCoV
NeoCoV has been discovered among bats in South Africa and has only been known to spread among these animals to date. (File photo: PTI)

Coronavirus New Variant: दुनियाभर में ओमिक्रॉन (Omicron) और डेल्टा (Delta) के खतरों के बीच कोरोना के एक नए वेरिएंट का पता चला है. वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि नया वेरिएंट कोरोना के अन्य सभी वेरिएंट्स की तुलना में काफी घातक साबित हो सकता है. कोरोना के इस नए वेरिएंट को ‘नियोकोव (NeoCov) नाम दिया गया है. इस वेरिएंट को खतरनाक बताया जा रहा है. चीन (China) की वुहान यूनिवर्सिटी (Wuhan University) के शोधकर्ताओं ने दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों में एक नए प्रकार के कोरोना वायरस का पता लगाया है. उन्होंने अपने अनुसंधान (रिसर्च) में दावा किया है कि इसमें उत्परिवर्तित (म्यूटेंट) की क्षमता अधिक है. उधर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि इसकी क्षमता को और स्पष्टता की आवश्यकता है. चीन के वुहान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार, नियोकोव सार्स-सीओवी-2 की तरह ही मानव कोशिकाओं में प्रवेश कर सकता है. हालांकि अभी तक इसका पीयर-रिव्यू नहीं किया गया है, यानी इस अनुसंधान की पूर्ण समीक्षा की जानी बाकी है.

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डब्ल्यूएचओ के अनुसार हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों में खोजा गया नियोकोव वायरस मनुष्यों के लिए खतरा है या नहीं, इस सवाल पर और अध्ययन की आवश्यकता है. स्वास्थ्य निकाय ने टास समाचार एजेंसी के हवाले से कहा, क्या अध्ययन में पाया गया वायरस मनुष्यों के लिए जोखिम पैदा करेगा, इसके लिए आगे के अध्ययन की आवश्यकता होगी. WHO का कहना है कि इसके एनिमल हेल्थ, फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन और यूएन इनवायरोमेंट प्रोग्राम ने इस उभरते हुए नियोकोव वायरस पर नजर रखना शुरू कर दिया है और इस वायरस के संभावित खतरे पर जानकारियों को जुटाना शुरू कर दिया है.

यह अध्ययन प्रकाशन पूर्व संग्रह कोश बायोआरएक्सआईवी पर हाल में डाला गया है और इसकी समीक्षा की जानी अभी बाकी है. अध्ययन से यह पता चलता है कि नियोकोव ‘मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम’ (मर्स) से करीबी रूप से संबद्ध है. इस वायरस (Virus) से फैलने वाली बीमारी की पहली बार पहचान 2012 में सऊदी अरब में की गई थी. कोरोना वायरस (Coronavirus) विषाणुओं का एक बड़ा परिवार है, जो सामान्य सर्दी जुकाम से लेकर सार्स जैसे रोग का कारण बन सकता है. चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज और वुहान यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकताओं ने यह गौर किया है कि नियोकोव दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों के समूह में पाया गया है और यह इन जंतुओं में विशेष रूप से फैलता है.

अनुसंधानकर्ताओं ने इस बात का जिक्र किया कि अपने मौजूदा स्वरूप में नियोकोव मानव को संक्रमित नहीं करता है, लेकिन यदि यह और अधिक उत्परिवर्तित हुआ, तो यह संभवत: नुकसानदेह हो सकता है. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा, ‘इस अध्ययन में, हमने अप्रत्याशित रूप से पाया कि नियोकोव और इसके करीबी संबंधी पीडीएफ- 2180-कोव, मानव शरीर में प्रवेश करने के लिए कुछ प्रकार के बैट (चमगादड़) एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम 2 (एसीई 2) का प्रभावी रूप से उपयोग कर सकते हैं.’ एसीई 2 कोशिकाओं पर एक रिसेप्टर प्रोटीन है, जो कोरोना वायरस को कोशिकाओं से जुड़ जाने और संक्रमित करने के लिए प्रवेश बिंदु प्रदान करता है.

(इनपुट: एजेंसी)

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