नई दिल्ली: मच्छरों ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है. इस समस्या से देश का शायद ही कोई हिस्सा होगा, जो इससे अछूता हो. मच्छरों के कारण कई घातक बीमारियां फैलती हैं, जिससे हराजों लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं. इन मच्छरों की रोकथाम करने के लिए न जाने कितने उपाय किए गए लेकिन इनकी संख्या है कि घटने के बजाए बढ़ती ही जाती है. पर अब लगता है कि वैज्ञानिकों ने इन मच्छरों के सफाए की ठान ली है. ये वैज्ञानिक मच्छरों की नसबंदी के लिए रिसर्च कर रहे हैं. ये एक दवा बना रहे हैं, जो इन मच्छरों की तेज गति से होने वाली पैदावार पर लगाम लगाएगी. Also Read - कोरोना वायरस से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने निकाली तरकीब, फरीदाबाद, गुरुग्राम को किया जा रहा स्टरलाईजेशन
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आने वाले समय में मलेरिया और डेंगू जैसी घातक बीमारियों पर लगाम लग सकती है. मच्छरों से पैदा होने वाली इन बीमारियों से हर साल हजारों लोगों की मौत हो जाती है. ऐसे में अमेरिकी वैज्ञानिक एक ऐसा ड्रग बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, जिससे मच्छरों के जन्म पर नियंत्रण रखा जा सकेगा. यूनिवर्सिटी ऑफ अरिजोना के शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने मादा मच्छरों के लिए एक ऐसा प्रोटीन खोजा है, जो उनके बच्चों के सेने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. जब वैज्ञानिकों ने इस प्रोटीन को ब्लाक कर दिया तो मादा मच्छरों ने डिफेक्टिव सेल्सवाले अंडे दिए, जिनकी वजह से भ्रूण अंदर ही मर गए. शोधकर्ताओं की टीम ने कहा कि अगर ऐसा ड्रग या दवा विकसित की जाए तो इस प्रोटीन पर टार्गेटेड हो, उससे मधुमक्खियों जैसे लाभकारी कीड़ों को नुकसान पहुंचाए बिना मच्छरों की आबादी को कम करने का एक तरीका मिल सकता है.
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यूनिवर्सिटी के केमिस्ट्री और बायॉकेमिस्ट्री डिपार्टमेंट के चीफ रोजर मीसफेल्ड ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण खोज है, इससे न सिर्फ मच्छरों की जनसंख्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है बल्कि यह अन्य तरीकों की तुलना में कहीं ज़्यादा सुरक्षित है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मच्छर दुनिया के सबसे घातक जानवरों में से एक हैं. संगठन ने चेतावनी दी है कि मलेरिया के खिलाफ वैश्विक प्रगति रुक रही है. 2016 में लगभग 216 मिलियन लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए, जिनमें से 4 लाख 45 हजार लोगों की मौत हो गई. इन लोगों में मुख्य रूप से शिशु और छोटे बच्चे शामिल थे.
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