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ब्लड टेस्ट के जरिए डिप्रेशन और बाइपोलर डिसऑर्डर की जांच संभव, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने किया दावा

अमेरिका की इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ब्लड टेस्ट का पता लगाया है, जो अवसाद से पीड़ित लोगों के लिए नई आशा की किरण है.

Updated: December 1, 2021 7:58 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Atul Modi

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आपने ब्लड टेस्ट के जरिए अलग-अलग बीमारियों का पता लगाने के बाद जरूर सुनी होगी. मगर मानसिक रोगों का पता लगाने के लिए मनोवैज्ञानिक की मदद ली जाती है. लेकिन अगर आपसे यह कहा जाए कि ब्लड टेस्ट के जरिए मानसिक रोगों का भी पता चल लगाया जा सकता है तो आप क्या कहेंगे? जाहिर है आपको आश्चर्य होगा. मगर यह बात पूरी तरह से सत्य है. दरअसल, अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी खोज की है जिसमें ब्लड टेस्ट के जरिए डिप्रेशन और बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी मानसिक बीमारियों का पता लगाना आसान हो जाएगा। यह ठीक वैसे ही है जैसे ब्लड टेस्ट के जरिए डायबिटीज, थायराइड और कोलेस्ट्रॉल जैसी कई बीमारियों का पता लगाया जाता है।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक बड़ी सफलता में, आरएनए मार्करों का उपयोग करते हुए अमेरिका में इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं की एक टीम ने ब्लड टेस्ट का पता लगाया है, जो अवसाद से पीड़ित लोगों के लिए नई आशा की किरण है. शोधकर्ताओं की एक टीम ने अप्रैल में रक्त परीक्षण शुरू किया था.

रिसर्च का नेतृत्व कर रहे मनोचिकित्सक और आनुवंशिकीविद् डॉ अलेक्जेंडर निकुलेस्कु ने कहा “हमारे अध्ययन से पता चलता है कि अवसाद और बाइपोलर डिसऑर्डर के लिए रक्त परीक्षण करना संभव है, जिनकी क्लिनिकल यूटिलिटी है, दोनों के बीच अंतर कर सकते हैं, और लोगों को सही दवाएं दे सकते हैं.

उन्होंने कहा कि, यह वर्षों के परीक्षण और त्रुटि, अस्पताल में भर्ती होने और दुष्प्रभावों से बचा जाता है। चूंकि ये बहुत ही सामान्य विकार हैं, हमें लगता है कि हम इसके साथ और हमारे द्वारा विकसित किए गए अन्य परीक्षणों और ऐप्स के साथ बहुत अच्छा कर सकते हैं.

शोधकर्ताओं ने मूड डिसॉर्डर के बॉयोलोजिकल बेसिक का अध्ययन किया और एक उपकरण विकसित करने में सफल रहे जो अवसाद या बाइपोलर डिसऑर्डर सहित मूड डिसऑर्डर के प्रकारों में भेद करने में मदद कर सकता है.

डॉ अलेक्जेंडर और उनकी टीम ने परीक्षण विकसित करने के लिए पिछले 15 वर्षों के शोध के अनुभवों और टिप्पणियों का उपयोग किया. वे अपने पिछले निष्कर्षों का उपयोग यह पता लगाने के लिए करते हैं कि मनोरोग रक्त जीन अभिव्यक्ति बायोमार्कर से कैसे संबंधित है.

निकुलेस्कु के अनुसार, शरीर की प्रत्येक प्रणाली मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र, प्रतिरक्षा प्रणाली का एक सामान्य विकास मार्ग होता है.

उन्होंने अल जज़ीरा को बताया, ‘उदाहरण के लिए, जब आप तनावग्रस्त या उदास होते हैं, तो मनो-न्यूरोलॉजिकल तंत्र, हार्मोन और अन्य चीजें निकलती हैं जो आपके रक्त और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती हैं.’

इसका मतलब है कि एक इम्यून एक्टिवेशन या इन्फ्लेमेशन का मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ेगा.

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