नई दिल्ली: यह एक डराने वाला तथ्य है कि दुनिया भर में हर साल 80 लाख से अधिक लोग कैंसर से दम तोड़ते हैं, जिनमें से 40 लाख लोग समय से पहले (30-69 वर्ष आयु वर्ग) मर जाते हैं. वक्त का तकाजा है कि इस बीमारी के खिलाफ चौतरफा जंग छेड़ी जाए वर्ना वर्ष 2025 तक, इसकी वजह से समय से पहले होने वाली मौतों की संख्या बढ़कर 60 लाख तक होने की आशंका है. Also Read - West Bengal Assembly Elections 2021: अभिषेक बनर्जी पर शुभेंदु ने किया कटाक्ष- कोरोना तो ठीक हो जाता है पर कैंसर नहीं
Also Read - Health Tips: घंटों एक ही जगह बैठे रहने से आपको हो सकता है डायबिटीज और कैंसर का खतरा, ये हैं कारण
अल्सर, पेट के कैंसर का पता लगाएगी नई टैबलेट, खाने के बाद नरम गुब्बारे के आकार में बदलेगी ये Also Read - फिल्म इंडस्ट्री के लिए ये बहुत बुरा साल, नहीं रहे 'इतनी शक्ति हमें देना दाता' के गीतकार अभिलाष, इलाज के लिए नहीं थे पैसे
‘विश्व कैंसर दिवस’ एक वैश्विक कार्यक्रम है, जो दुनिया के हर व्यक्ति को इस जानलेवा बीमारी के खिलाफ एकजुट करने का आह्वान करता है. इसका उद्देश्य जागरूकता फैलाना, कैंसर के बारे में शिक्षा बढ़ाना तथा विश्व में सरकारों और व्यक्तियों को कार्रवाई करने के लिए संवेदनशील बनाना है. 4 फरवरी 2000 को पेरिस में नयी सदी में कैंसर के खिलाफ़ विश्व सम्मेलन में इस दिन को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत की गई थी. कैंसर भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बीमारी बन गया है. पिछले ढाई दशक में कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या में दोगुना से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है. यही नहीं, देश में होने वाली कुल मौतों में कैंसर की हिस्सेदारी बढ़कर 8.3 फीसदी हो चुकी है.
कैंसर से लड़ने में कारगर साबित हो सकती है नई स्टेम सेल तकनीक, रिसर्च का दावा
कैंसर से 1990 में 3.82 लाख तो 2016 में 8.13 लाख लोगों की मौत
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की एक अध्ययन रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि वर्ष 1990 में देश में कैंसर के चलते 3.82 लाख मौतें हुईं थीं. 2016 में यह संख्या बढ़कर 8.13 लाख हो गई. यहां चिंता का विषय यह है कि आम तौर पर जागरूकता की कमी से कैंसर होने की बात कही जाती है, लेकिन कैंसर के सबसे अधिक मामले केरल में सामने आए हैं, जहां साक्षरता दर देश में सबसे ज्यादा है. वर्ष 2016 में केरल में कैंसर के मामलों की दर प्रति लाख आबादी पर 135.3 थी. केरल के बाद मिजोरम (121.7), हरियाणा (103.3), दिल्ली (102.9) क्रमश: दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर हैं. प्रति लाख 53.9 की दर के साथ बिहार में कैंसर का प्रकोप सबसे कम है. वहीं, झारखंड-मिजोरम (64.3) संयुक्त रूप से कम कैंसर के मामले में दूसरे स्थान पर और राजस्थान-तेलंगाना (72.6) संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर हैं.
कैंसर पीड़ितों के लिए चेन्नई में शुरू हुआ प्रोटोन थेरेपी सेंटर
गलत लाइफस्टाइल के कारण बढ़ी बीमारी
विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर दरअसल गलत लाइफस्टाइल के कारण बढ़ने वाली बीमारी है और शुरुआती निदान तथा बेहतर समझ से इससे बचना और उबरना संभव है. शायद इसलिए इस बार वर्ल्ड कैंसर डे की थीम भी ”आई एम एंड आई विल” रखी गयी है यानी मरीज प्रबल इच्छाशक्ति से इस जानलेवा रोग को मात दे सकता है.
जैव संवर्धित पौधे से हो सकेगी कैंसर की रोकथाम, वैज्ञानिकों ने खोजी ये तरकीब
जागरूकता का अभाव
धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर सर्जिकल ऑन्कोलॉजी कंसलटेंट, डॉ अतुल कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि जागरूकता के अभाव में अपर्याप्त डायग्नोसिस होने के कारण कैंसर के 50 प्रतिशत मरीज तीसरे या चौथे चरण में पहुंच जाते हैं, जिस वजह से मरीज के बचने की संभावना बहुत कम रह जाती है. जहां पुरुषों में प्रोस्टेट, मुंह, फेफड़ा, पेट, बड़ी आंत का कैंसर आम है तो वही महिलाओं में ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर के ज्यादातर मामले देखने को मिलते है. इनका सबसे बड़ा कारण बदलता लाइफस्टाइल, प्रदूषण, खानपान में मिलावट और तंबाकू या धूम्रपान के सेवन का बढ़ता चलन है.
Cancer के इलाज में बड़ी सफलता, ये खबर आपके काम की है…
शरीर के किसी हिस्से में हों गांठ तो फौरन कराएं जांच
डॉक्टर बताते हैं कि शरीर के किसी हिस्से में अनावश्यक गांठ हो जाए या किसी अंग से अकारण रक्तस्राव होने लगे तो तत्काल डाक्टर से परामर्श लेने और जांच कराने की जरूरत है. शरीर के किसी अंग में वृद्धि या त्वचा के रंग में बदलाव इसके शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. ऐसे में तत्काल जांच कराई जाती है और कैंसर की पुष्टि हो जाने के बाद कैंसर का स्टेज निर्धारित किया जाता हैं ताकि इलाज के विकल्पों और इस बीमारी से उबरने की संभावनाओं पर विचार किया जा सके.
कैंसर के इलाज में नई क्रांति लाएगा ये तरीका, जानें इसकी खासियत
करें ये उपाय
एक्शन कैंसर हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ जे. बी. शर्मा, का कहना है कि कैंसर के खतरनाक मामलों से बचने और उबरने का एकमात्र उपाय नियमित जांच, स्वस्थ लाइफस्टाइल, धूम्रपान त्यागना, शुद्ध और पौष्टिक खानपान, फलों-सब्जियों का ज्यादा सेवन, स्वच्छ आबोहवा, व्यायाम और नियमित दिनचर्या ही है. कैंसर को अपने आप में मौत का दूसरा नाम कहा जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में बहुत से लोगों ने इस बीमारी से निजात पाकर इसको हराने का हौंसला दिखाया है. जरूरत है तो इसके खिलाफ जागरूकता फैलाने की और समय रहते इसकी आहट पहचानकर इसे मार भगाने की.
लाइफस्टाइल की और खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.