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देश के सांसदों और विधायकों के खिलाफ 4984 मामले लंबित, इनमें से 1899 केस पांच साल से भी पुराने: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ कुल 4,984 मामले लंबित हैं, जिनमें 1,899 मामले पांच वर्ष से अधिक पुराने हैं.

Updated: February 3, 2022 11:44 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Zeeshan Akhtar

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सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ कुल 4,984 मामले लंबित हैं, जिनमें 1,899 मामले पांच वर्ष से अधिक पुराने हैं. न्यायमित्र नियुक्त किये गये वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में शीर्ष न्यायालय को बताया कि दिसंबर 2018 तक कुल लंबित मामले 4,110 थे और अक्टूबर 2020 तक ये 4,859 थे. अधिवक्ता स्नेहा कलिता के माध्यम से दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘चार दिसंबर 2018 के बाद 2,775 मामलों के निस्तारण के बावजूद सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामले 4,122 से बढ़ कर 4984 हो गये. इससे प्रदर्शित होता है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अधिक से अधिक लोग संसद और राज्य विधानसभाओं में पहुंच रहे हैं. यह अत्यधिक आवश्यक है कि लंबित आपराधिक मामलों के तेजी से निस्तारण के लिए तत्काल और कठोर कदम उठाए जाएं.’’

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सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की तेजी से सुनवाई सुनिश्चित करने तथा सीबीआई व अन्य एजेंसियों द्वारा शीघ्रता से जांच कराने के लिए अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर शीर्ष न्यायालय समय-समय पर कुछ निर्देश जारी करता रहा है. हंसारिया ने कहा कि उच्च न्यायालयों द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट से भी प्रदर्शित होता है कि कुछ राज्यों में विशेष अदालतें गठित की गई हैं जबकि अन्य में संबद्ध क्षेत्राधिकार की अदालतें समय-समय पर जारी निर्देशों के आलोक में सुनवाई कर रही है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘क्षेत्राधिकार वाली ये अदालतें सांसदों/ विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के साथ-साथ खुद को आवंटित अन्य दायित्वों का भी निर्वहन कर रही हैं. कई राज्यों में, वहीं न्यायाधीश अनुसचूति जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम, पॉक्सो अधिनियम आदि जैसे विभिन्न विधानों के तहत एक विशेष अदालत हैं.’’

न्यायमित्र ने इस बात का जिक्र किया कि 25 अगस्त 2021 के आदेश के अनुसार, त्वरित जांच/ मामलों की सुनवाई, अदालतों को बुनियादी ढांचे मुहैया करना और जांच में विलंब के कारणों का आकलन करने के लिए निगरानी समिति के गठन से जुड़े मुद्दे पर केंद्र सरकार द्वारा कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है. उन्होंने न्यायालय से यह निर्देश जारी करने का अनुरोध किया कि सांसदों /विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई कर रहीं अदालतें विशेष रूप से इन्हीं मामलों की सुनवाई करें और इन मामलों की सुनवाई पूरी होने के बाद ही अन्य मामले लिए जाएं.

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Published Date: February 3, 2022 11:37 PM IST

Updated Date: February 3, 2022 11:44 PM IST