
मजदूर रहे शख्स का पद्म श्री अवॉर्ड की लिस्ट में नाम, आज के 'टनलमैन' को कभी लोग कहते थे पागल
कर्नाटक की 'सिंगल मैन आर्मी' के रूप में भी जाने जाने वाले अमाई महालिंगा नायक का नाम पद्म श्री पुरस्कार की सम्मान की सूची में शामिल हैं

Karnataka, Padma Shri, Padma Shri award, Padma award, Amai Mahalinga Naik, Republic day 2022: साल 2022 के गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जब पदम् पुरस्कारों की घोषणा हुई तो इसमें एक ऐसे शख्स का नाम शामिल था, जो कभी मजदूर था. इतना ही नहीं लोग उसे पागल तक करार देते थे. लेकिन आज उन्हें कैनालमैन के नाम से देश और दुनिया के लोग जानते हैं. ये हैं कर्नाटक के 77 साल अमाई महालिंगा नायक जिन्हें पद्म श्री से उनके कृषि के क्षेत्र में सिंचाई के लिए असाधारण योगदान के लिए घोषित किया गया है. आमि महालिंगा ने मुश्किल को संभव को कर दिखाया है.
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देश की राजधानी दिल्ली से जब अधिकारियों ने अमाई महालिंगा नायक को पद्मश्री अवॉर्ड देने की सूचना फोन पर दी तो भी वह समझ नहीं पाए. इसके बाद में लोगों ने उन्हें समझाया तब जान पाए कि उन्हें कोई सम्मान दिया गया है. महालिंगा के काम को खूब सराह गया लेकिन उनमें अपनी उपलब्धि को लेकर जरा सा भी अहंकार नहीं था. उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि सरकार उन्हें इतना बड़ा सम्मान देगी.
एक मजदूर अमाई महालिंगा के ‘कैनालमैन’ तक बनने के सफर की दास्तां बड़ी ही रोचक और प्रेरक है. अमाई महालिंगा मजदूर थे और उनके स्वाभाव में कठिन परिश्रम की आदत शुमार थी और इसी के चलते उन्हें एक व्यक्ति ने उनकी मेहनत से खुश होकर बंजर जमीन का 2 एकड़ का टुकड़ा उन्हें इनाम के तौर पर दे दिया था. यह बंजर जमीन पहाड़ी इलाके में थी और यहां बिना सिंचाई के फसल उगाना बहुत ही मुश्किल था.
ऊंची पहाड़ी पर बंजर जमीन में सिंचाई पर बड़े खर्च के लिए न तो अमाई महालिंगा के पास पैसा था और न ही किसी तकनीकी का ज्ञान, लेकिन इस मुश्किल काम के लिए उन्होंने कैनाल बनाने का फैसला किया. लेकिन अधिक सुरंग की खुदाई के लिए अधिक मैनपॉवर की जरूरत थी. लेकिन अमाई महालिंगा ने अपनी हिम्मत नहीं हारी और सुरंग खोदना शुरू कर दिया. दरअसल, अमाई महालिंगा का मानना था कि जब सिंचाई के लिए आधुनिक यंत्र नहीं थे, तब भी सिंचाई की जाती थी पारंपरिक ढंग से और इसी भरोसे के सहारे अपने कदम आगे बढ़ाए. लेकिन इस राह में बड़ी मुश्किल थी.
अमाई महालिंगा नायक ने पहाड़ी के पठारीय जमीन पर अपने खेत के लिए सुरंग खोदना शुरू किया. बहुत ही मेहनत, जुनून और लगन के साथ एक के बाद एक करके चार साल में पांच सुरंगे खोद डाली लेकिन खेत तक पानी लाने का सपना दूर ही नजर आया. हौसला टूटने लगता और एक बार तो अमाई महालिंगा नायक को ऐसा लगा कि लगातार 4 साल की कड़ी मेहनत भी व्यर्थ चली जाएगी. फिर भी कैनाल खोदना जारी रखा. सुरंगों की गिनती एक, दो, तीन, चार, पांच, छह हो गई, लेकिन कामयाबी नहीं मिली.. इसके बाद जब 7 वीं सुरंग को खोदा तो यह उम्मीद की किरण बनकर दिखने लगी. अमाई महालिंगा नायक की मेहनत के जारी मेहनत के चलते वह दिन भी आ गया जब जमीन में पानी की नमी के एहसास ने उम्मीद की बदली बनकर बरस पड़ी.
सुरंग खुदाई में जब अमाई महालिंगा नायक जुटे थे तो इस दौरान लोग उन्हें पागल और सनकी तक कहते थे. वह देर रात तक सुरंग की खुदाई में जुटे रहते और घर नहीं पहुंचते तो पत्नी हैरान-परेशान होकर लेने आती. पत्नी सवाल करती कि इतनी देर तक घर नहीं पहुंचे बहुत रात हो गई है तो महालिंगा कहते मुझे पता ही नहीं चलता कि देर हो गई है.
आखिर अमाई महालिंगा ने अपने खेत में सुरंगों के जरिए पानी पहुंचाने में कामयाबी पाई, खेत में फसलें उगाईं. उनकी शोहरत और कामयाबी की कहानी, गांव शहर, क्षेत्र, कर्नाटक और देश से आगे निकलकर विदेशों तक पहुंच गई. बिना पढ़े- लिखे महालिंगा के इस काम को देखने के लिए कई देशों के लोग उनके खेत तक पहुंचे. (रिपोर्ट एवं फोटो: साभार जी न्यूज रिपोर्ट)
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