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आंध्र प्रदेश में महिला एवं बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों की जांच 7 दिन में और सजा 14 दिन में होगी
पड़ोसी राज्य तेलंगाना में वेटनरी डॉक्टर से गैंगरेप और मर्डर के बाद आंध्र प्रदेश विधानसभा ने 'दिशा' विधेयक पारित किया
अमरावती: आंध्रप्रदेश विधानसभा ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन के लिए शुक्रवार को एक विधेयक पारित कर दिया. इस संशोधन के माध्यम से प्रावधान किया गया है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों, खास कर यौन अपराधों के मामलों की तेजी से जांच और सुनवाई होगी और दोषी को मौत की सजा दी जा सकेगी.
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नए कानून के तहत यौन अपराध के मामलों की जांच दर्ज होने के सात कामकाजी दिन के भीतर पूरी होगी और आरोपपत्र दाखिल किए जाने के 14 कामकाजी दिन के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरी करनी होगी.
प्रस्तावित नए कानून का नाम ‘आंध्र प्रदेश दिशा अधिनियम आपराधिक कानून (आंध्र प्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2019 रखा गया है. हाल ही में पड़ोसी राज्य तेलंगाना में एक वेटनरी डॉक्टर से बलात्कार के बाद उसकी हत्या का मामला सामने आया था. यह विधेयक पीड़िता को दी गई श्रद्धांजलि है.
Andhra Pradesh Assembly has passed Andhra Pradesh Disha Bill 2019 (Andhra Pradesh Criminal Law (Amendment) Act 2019). The bill provides for awarding death sentence for offences of rape and gang rape and expediting verdict in trials of such cases within 21 days. pic.twitter.com/VZ6JCVo236
— ANI (@ANI) December 13, 2019
गृह राज्य मंत्री एम सुचरिता ने यह विधेयक विधानसभा में पेश किया, जिसे सत्तारूढ़ पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने ‘क्रांतिकारी’ बताया.
– नए कानून के तहत यौन अपराध के मामलों की जांच दर्ज होने के सात कामकाजी दिन के भीतर पूरी होगी
– आरोपपत्र दाखिल किए जाने के 14 कामकाजी दिन के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरी करनी होगी
– नए कानून के तहत दी गई सजा के खिलाफ अपील का निपटारा छह महीने के भीतर करना होगा.
– आईपीसी में तीन नयी धाराएं 354 ई, 354 एफ और 354 जी शामिल की जाएंगी
इन धाराओं के तहत क्रमश: महिलाओं के उत्पीड़न, बच्चों के यौन उत्पीड़न और बच्चों पर बढ़ रहे यौन हमले की व्याख्या की गईं हैं
– विधानसभा ने एक और विधेयक पारित किया, जिसके तहत महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन होगा
– प्रस्तावित नए कानून के जरिए महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की तेजी से सुनवाई के लिए प्रत्येक जिले में एक या अधिक विशेष अदालतों का गठन हो सकेगा
– इन अपराधों की जांच के लिए उपाधीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में पुलिस की विशेष टीम गठन करने का भी अधिकार होगा
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