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जेटली ने पूछा, क्या आईएस मॉड्यूल का भंडाफोड़ बिना इंटरसेप्शन के संभव होता?
वित्त मंत्री ने सरकार के 10 सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों द्वारा कंप्यूटरों की निगरानी करने के निर्णय को सही ठहराया
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने ‘खतरनाक आतंकी मॉड्यूल’ का पर्दाफाश करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की सराहना की. गुरुवार को इसके साथ ही वित्त मंत्री ने सरकार के 10 सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों द्वारा कंप्यूटरों की निगरानी करने के निर्णय को सही ठहराया और पूछा कि ‘क्या इलेक्ट्रॉनिक संचारों की निगरानी (इंटरसेप्शन) के बिना एनआईए इस आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश कर पाती?’ उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, “खतरनाक आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश करने के लिए एनआईए को शाबाशी.”
जेटली ने सरकार के हालिया कंप्यूटरों के इंक्रिप्ट, डिक्रिप्ट और निगरानी अधिकार 10 सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों की दिए जाने के निर्णय का बचाव करते हुए कहा, “एनआईए की ओर से इस आतंकवादी मॉड्यूल का पर्दाफाश क्या इलेक्ट्रॉनिक संचारों की निगरानी के बिना हो पाता.”
पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता ने कहा, “क्या सबसे ज्यादा इंटरसेप्शन संप्रग सरकार के कार्यकाल में हुई थी? निश्चित ही जार्ज ऑरवेल का जन्म मई 2014 में नहीं हुआ था.” जेटली ने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता सर्वोपरि है. जीवन और निजी स्वतंत्रता एक मजबूत लोकतांत्रिक देश में जीवित रह पाएगी ना कि आतंकवाद बहुल राज्य में.”
केंद्रीय मंत्री जेटली ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब एक दिन पहले एनआईए ने दिल्ली व उत्तर प्रदेश में 17 जगहों पर छापे मारे और आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) पर आधारित नए मॉड्यूल ‘हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम’ के 10 सदस्यों को गिरफ्तार किया. ये लोग राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और दिल्ली में भीड़भाड़ वाली जगहों, महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रतिष्ठानों, राजनीतिक हस्तियों पर फिदायीन तरीके से या रिमोट कंट्रोल आधारित आतंकी हमला करना चाहते थे. एजेंसी ने इसके अलावा इस समूह के सदस्य होने के शक में छह अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है.
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