
Beating Retreat 2022: सदियों पुरानी है बीटिंग रीट्रीट की शानदार परंपरा, जानिए इसका महत्व और इतिहास
सदियों पुरानी है बीटिंग रीट्रीट की शानदार परंपरा, भारत में इसकी शुरुआत 1950 में हुई थी. इसकी क्या खासियत होती है और इसका क्या इतिहास रहा है. जानिए इस खबर में...

Beating Retreat 2022: ‘बीटिंग द रिट्रीट’ की परंपरा सदियों पुरानी है. कहा जाता है कि 17वीं सदी में इंग्लैंड में इसकी शुरुआत हुई थी. तब जेम्स II ने शाम को जंग खत्म होने के बाद अपने सैनिकों को ड्रम बजाने, झंडा झुकाने और परेड करने का आदेश दिया था. उस वक्त इस समारोह को वॉच सेटिंग कहा जाता था. तब से ये बीटिंग रिट्रीट की परंपरा ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में मनाई जाने लगी. भारत में पहली बार 1950 में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन हुआ था. तब इसके दो कार्यक्रम हुए थे. पहला कार्यक्रम दिल्ली में रीगल मैदान के सामने मैदान में हुआ था और दूसरा लालकिले में.
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गणतंत्र दिवस समारोह की समाप्ति का सूचक है बीटिंग रिट्रीट
भारत के गणतंत्र दिवस समारोह की समाप्ति का सूचक है-बीटिंग रिट्रीट. इस कार्यक्रम में थल सेना, वायु सेना और नौसेना के बैंड पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं. हर साल गणतंत्र दिवस के बाद 29 जनवरी की शाम को ‘बीटिंग द रिट्रीट’ (Beating The Retreat) कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. दिल्ली स्थित रायसीना रोड पर राष्ट्रपति भवन के सामने इसका प्रदर्शन किया जाता है. गणतंत्र दिवस समारोह की तरह यह कार्यक्रम भी देखने लायक होता है. इसके लिए राष्ट्रपति भवन, विजय चौक, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक बेहद सुंदर रोशनी के साथ सजाया जाता है.
क्या है बीटिंग रिट्रीट?
‘बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी’ सेना की बैरक में वापसी का प्रतीक है. जब लड़ाई के दौरान सेनाएं सूर्यास्त होने पर हथियार रखकर अपने कैंप में जाती थीं, तब एक संगीतमय समारोह होता था, इसे बीटिंग रिट्रीट कहा जाता है.
भारत में बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी. तब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने इस सेरेमनी को सेनाओं के बैंड्स के डिस्प्ले के साथ पूरा किया था. समारोह में राष्ट्रपति बतौर चीफ गेस्ट शामिल होते हैं. विजय चौक पर राष्ट्रपति के आते ही उन्हें नेशनल सैल्यूट दिया जाता है और इसी दौरान राष्ट्रगान जन गण मन होता है. इसके साथ ही तिरंगा फहराया जाता है. थल सेना, वायु सेना और नौसेना, तीनों के बैंड मिलकर पारंपरिक धुन के साथ मार्च करते हैं.
बैंड वादन के बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है. इस दौरान बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की इजाजत मांगते हैं. इसका मतलब ये होता है कि 26 जनवरी का समारोह पूरा हो गया है और बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन “सारे जहां से अच्छा” बजाते हैं.
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