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विशेष अदालत का सभी दोषियों को बरी करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के प्रतिकूल: कांग्रेस

कांग्रेस प्रवक्‍ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुताबिक बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था

Published: September 30, 2020 4:14 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Laxmi Narayan Tiwari

विशेष अदालत का सभी दोषियों को बरी करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के प्रतिकूल: कांग्रेस
कांग्रेस ने कहा- बाबरी मस्जिद विध्‍वंस मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे है.

नई दिल्‍ली: कांग्रेस ने Babri Masjid Demolition Case मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे बताया है. कांग्रस प्रवक्‍ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान जारी कर कहा- सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे है. सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की खंडपीठ के 9 नवंबर 2019 के निर्णय के मुताबिक बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था.

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कांग्रेस प्रवक्‍ता ने बयान में कहा- बाबरी मस्जिद विध्‍वंस मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे है. सुप्रीम कोर्ट की पांच न्‍यायाधीशों की खंडपीठ के 9 नवंबर, 2019 के निर्णय के मुताबिक बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था. पर विशेष अदालत ने सब दोषियों को बरी कर दिया. विशेष अदालत का निर्णय साफतौर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के भी प्रतिकूल है.

सुरजेवाला ने बयान में आगे कहा- पूरा देश जानता है कि भाजपा-आरएसएस व उनके नेताओं ने राजनैतिक फायदे के लिए देश व समाज के साम्‍प्रदायिक सौहार्द को तोड़ने का घिनौना षड़यंत्र किया था. उस समय की उत्‍तर प्रदेश की भाजपा सरकार भी साम्‍प्रदायिक सौहार्द भंग करने की इस साजिश में शामिल थी. यहां तक कि उस समय झूठा शपथ पत्र देकर सुप्रीम कोर्ट तक को बरगलाया गया. इन सभी पहलुओं, तथ्‍यों व साक्ष्‍यों को परखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद को गिराया जाना गैरकानूनी अपराध ठहराया था.

कांग्रेस प्रवक्‍ता रणदीप सुरजेवाला ने बयान जारी क‍िया हे.

कांग्रेस प्रवक्‍ता के पार्टी के बयान में कहा- स‍ंविधान, सामाजिक सौहार्द व भाईचारे में विश्‍वास करने वाला हर व्‍यक्ति उम्‍मीद व अपेक्षा करता है कि विशेष अदालत के इस तर्कविहीन निर्णय के विरुद्ध प्रांतीय व केंद्रीय सरकारें उच्‍च अदालत में अपील दायर करेंगी तथा बगैर किसी पक्षपात या पूर्वाग्रह के देश के संविधान और कानून की अनुपालना करेंगी. यही संविधान और कानून की सच्‍ची परिपाटी है.

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Published Date: September 30, 2020 4:14 PM IST