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रुद्रप्रयाग : चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) इन दिनों जोर-शोर से चल रही है. उत्तराखंड के चारधाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री जाने वाले यात्री सड़क और हवाई मार्ग से यहां पहुंच रहे हैं. पिछले दो वर्ष कोविड19 के चलते चारधाम यात्रा नहीं हो पाई थी, इस साल चारधाम यात्रा पर श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या पहुंच रही है. अगर आप भी चारधाम यात्रा पर जाने वाले हैं तो यह खबर आपके लिए है. क्योंकि आगामी 30 जून यानी गुरुवार से केदारनाथ (Kedarnath) के लिए सभी हवाई सेवाएं बंद कर दी जाएंगी.
दरअसल केदारनाथ के लिए हवाई सेवाएं बंद करने का यह फैसला लगातार हो रही बारिश के चलते लिया गया है. हेली कंपनियों ने बरसात में उड़ान नहीं भरने के फैसला लिया है. इससे पहले हिमालयन हेली ने 10 जुलाई तक सेवाएं देने का निर्णय लिया था, लेकिन लगातार बारिश के चलते अब यह कंपनी भी 30 जून से अपनी सेवाएं बंद कर देगी.
बता दें कि फिलहाल 9 में से सिर्फ दो ही हवाई कंपनियां अपनी सेवाएं दे रही हैं. अब अब तक 81 हजार से अधिक यात्री हेली सेवा से दर्शनों को पहुंच चुके हैं. उधर, सितंबर से दूसरे चरण की सेवाएं फिर से शुरू होंगी. केदारनाथ धाम के लिए छह मई से हवाई सेवाएं शुरू हो गई थीं. हेली सेवा के सहायक नोडल अधिकारी एसएस पंवार ने बताया कि नौ हवाई कंपनियों ने अपनी सेवाएं शुरू की थी, जिसमें सात हवाई कंपनियां अब तक लौट चुकी हैं, यह सभी कंपनियां अब अमरनाथ यात्रा में सेवाएं देंगी.
इस समय केवल दो हवाई कंपनियां आर्यन व हिमालय हेली अपनी सेवाएं दे रही हैं. इस वर्ष 14 हजार, 665 उड़ानों से कुल 81 हजार, 494 तीर्थ यात्री बाबा के दर पर पहुंचे हैं. पंवार ने बताया कि केदारनाथ पैदल मार्ग पर बारिश के दिनों में भी आवाजाही सुचारु रखने के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने प्रत्येक ‘डेंजर जोन’ पर मजदूरों की तैनाती कर दी है. जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की लोक निर्माण विभाग शाखा के अधिशासी अभियंता प्रवीन कर्णवाल ने बताया कि केदारनाथ पैदल मार्ग पर बरसात में आवाजाही सुचारू रखने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.
‘प्रत्येक डेंजर जोन पर 15-15 मजदूर तैनात किए गए हैं, जो मार्ग अवरुद्ध होने की दशा में तत्काल मलबा हटाकर आवाजाही सुचारू करेंगे. उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 में गौरीकुंड से एक किलोमीटर आगे पैदल मार्ग बंद हो गया था, जिसे तत्काल आवाजाही के लिए खोला गया.’
पंवार ने कहा कि वर्ष 2020 में गौरीकुंड से आठ किलोमीटर पैदल मार्ग पर पहाड़ी से मलबा आने से अवरुद्ध हो गया था, जिसे कुछ घंटों में ही शुरू दिया गया. भैरव, ग्लेशियर प्वांइट में वर्षा के मौसम में कभी भी पहाड़ी से मलबा आ सकता है. इसलिए केदारनाथ पैदल मार्ग पर लिनचोली, कुबेर, हथिनी, इन डेंजर जोन में मजदूर तैनात किए गए हैं.
(इनपुट – आईएएनएस)
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