कोयला घोटाला: रुंगटाबंधुओं को 4 साल की सजा,कंपनी पर लगा 25 लाख का जुर्माना

सीबीआई कोर्ट ने JIPL के डायरेक्टरों आरएस रुंगटा और आरसी रुंगटा को 28 मार्च को दोषी ठहराया था।

Published: April 4, 2016 4:26 PM IST

By Subhash Yadav

Coal scam: Rungtas get 4 yrs jail, to pay Rs 5 lakh fine each | कोयला घोटाला: रुंगटाबंधुओं को 4 साल की सजा,कंपनी पर लगा 25 लाख का जुर्माना

कोयला घोटाले मामले में दोषी ठहराए गए रुंगटा ब्रदर्स को सीबीआई की विशेष अदालत ने सोमवार को चार साल जेल की सजा सुनाई। कोर्ट ने दोनों के ऊपर 5 लाख का जुर्माना जबकि कंपनी के ऊपर 25 लाख का जुर्माना लगाया है.इससे पहले 25 मार्च को झारखंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड (जेआइपीएल) और इसके दो निदेशकों आरएस रूंगटा और आरसी रूंगटा को दोषी ठहराया गया था।

सीबीआई कोर्ट ने JIPL के डायरेक्टरों आरएस रुंगटा और आरसी रुंगटा को 28 मार्च को दोषी ठहराया था। दोनों को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया था। कोल ब्लॉक घोटाले के 39 मामलों में यह पहला मामला है, जिसमें सीबीआइ के विशेष कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए इन्हें दोषी ठहराया था। सीबीआई जज भारत पराशर ने रूंगटा ब्रदर्स और कंपनी को धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के तहत दोषी ठहराया था। यह भी पढ़े-कोयला घोटाला: CBI कोर्ट ने जेआईपीएल के दो निदेशक को दोषी ठहराया

-जानिए कब क्या हुआ?

वर्ष 2013-सीबीआई ने झारखंड इस्पात निगम लिमिटेड और अन्य के खिलाफ ढाडू कोल ब्लॉक आवंटन के मामले में मामला दर्ज किया।

वर्ष 2014-सीबीआई ने आइपीसी की धारा के तहत साजिश रचने, फर्जीवाड़ा और धोखधड़ी के मामले में झारखंड इस्पात निगम लिमिटेड, आरएस रुंगटा, आरसी रुंगटा, रामावतार केडिया और नरेश महतो के खिलाफ मामला दर्ज किया।

18 दिसंबर 2014-अदालत ने सीबीआई की चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी आरोपियों को 14 जनवरी 2015 को सम्मन जारी किया।

14 जनवरी 2015- कोर्ट ने रुंगटा बंधुओं को जमानत दे दिया. सीबीआई ने अदालत को कहा कि इस मामले के आरोपी रामावतार केडिया और नरेश महतो की मौत हो चुकी है।

9 मार्च 2015-अदालत ने झारखंड इस्पात निगम लिमिटेड और रुंगटा बंधुओं के खिलाफ धारा विभिन्न धाराओं के मामला चलाने का आदेश दिया।

रुंगटा ब्रदर्स पर लगाईं ये धाराएं।

गौरतलब है कि पिछले साल दोनों के खिलाफ कोर्ट ने आरोप तय किए थे. 21 मार्च 2015 को कोर्ट ने आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश रचने), धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 467 (सुरक्षा में जालसाजी), धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से साजिश रचना), धारा 471 (फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल) के तहत आरोपी बनाया था।

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