Top Recommended Stories

CoronaVirus In India: कोरोना के इलाज की नई गाइडलाइंस जारी, कब कराएं टेस्ट, कौन-सी दवा ना लें, जानिए

देश में कोरोना के मरीजों की संख्या कुछ घटी है. वहीं केंद्र सरकार ने कोरोना मरीजों के इलाज की नई गाइडलाइंस जारी की है. जिसमें बताया गया है कि कब कराएं टेस्ट, कौन-सी दवा ना लें, जानिए पूरी गाइडलाइंस....

Published: January 18, 2022 11:10 AM IST

By Kajal Kumari

covid-19-treatment-revised-guidelines
Out of the 1,036 fresh COVID cases, Mumbai city witnessed the highest 676 new COVID-19 infections on Monday, 285 less than the day before.

CoronaVirus In India: केंद्र सरकार ने सोमवार को कोरोना संक्रमण के इलाज को लेकर अपनी क्लिनिकल गाइडलाइंस में संशोधन कर जारी किया है. इस नई गाइडलाइंस की सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें सरकार ने डॉक्टरों को कोविड मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड के इस्तेमाल से हर हाल में बचने को कहा है. सरकार का यह फैसला तब आया है, जब अभी कुछ दिनों पहले ही टास्क फोर्स के प्रमुख वीके पॉल ने कोरोना की दूसरी लहर में स्टेरॉयड्स दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल किए जाने को लेकर अफसोस जताया था. बता दें कि इस नई गाइडलाइन को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR)-कोविड-19 राष्ट्रीय कार्यबल एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत संयुक्त निगरानी समूह (DGHS) ने जारी किए हैं.

Also Read:

जानिए क्या है संशोधित नई गाइडलाइंस…

अगर किसी मरीज की ऊपरी श्वास नली में कोविड के लक्षण उत्पन्न होते हैं और मरीज को सांस लेने में दिक्कत या हाइपॉक्सिया जैसी दिक्कत नहीं है तो इसे हल्के लक्षणों में रखा जाता है और उसे होम आइसोलेशन में ही इलाज की सलाह दी गई है. हल्के लक्षण वाले मरीजों को सलाह है कि अगर उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही है, या तेज बुखार या पांच दिनों से तेज खांसी है तो उन्हें डॉक्टर के पास जाना चाहिए.

अगर किसी मरीज में ऑक्सीजन सैचुरेशन 90 से 93 परसेंट के बीच में फ्ल्क्चुएट कर रहा है और उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही है, तो उन्हें अस्पताल में भर्ती होना चाहिए. ये मध्यम लक्षण हैं और ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट देना चाहिए.

अगर किसी मरीज में रेस्पिरेटरी रेट 30 प्रति मिनट से ऊपर है, सांस लेने में दिक्कत आ रही है और ऑक्सीजन सैचुरेशन कमरे के तापमान से 90 फीसदी नीचे है तो इसे गंभीर लक्षण में रखा जाएगा और मरीज को आईसीयू में भर्ती किया जाना चाहिए क्योंकि उन्हें रेस्पिरेटरी सपोर्ट की जरूरत होगी.

जिन मरीजों को ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत होगी और सांस धीमी चल रही होगी, उन्हें Non-invasive ventilation (NIV)- हेलमेट और फेस मास्क इंटरफेस जरूरत के हिसाब से लगाया जाएगा.

रोगियों में मामूली से लेकर गंभीर लक्षण होने पर रेमडेसिवर के आपातकालीन या ‘ऑफ लेबल’ उपयोग की अनुमति दी गयी है. इसका उपयोग केवल उन्हीं रोगियों पर किया जा सकता है जिनको कोई भी लक्षण होने के 10 दिन के भीतर ‘रेनल’ या ‘हेप्टिक डिस्फंक्शन’ की शिकायत न हुई हो.

जानिए स्टेरॉयड्स के ज्यादा इस्तेमाल की नहीं दी जाती सलाह

इस संशोधित नई गाइडलाइंस में कहा गया है कि स्टेरॉयड्स वाली दवाएं अगर जरूरत से पहले, या ज्यादा डोज़ में या फिर जरूरत से ज्यादा वक्त तक इस्तेमाल किए जाएं तो इनसे म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस जैसे सेकेंडरी इन्फेक्शन का डर बढ़ता है.

नई गाइडलाइन में कोरोना के हल्के, मध्यम और गंभीर लक्षणों के लिए अलग-अलग दवाइयों की डोज़ की अनुशंसा की गई है. वहीं, यह भी कहा गया है कि अगर किसी को खांसी दो-तीन हफ्तों से ठीक नहीं हो रही है, तो उसे टीबी या ऐसी ही किसी दूसरी बीमारी के लिए टेस्ट कराना चाहिए. इसके साथ ही ये सलाह दी गई है कि जो रोगी ऑक्सीजन कृत्रिम तरीके से नहीं ले रहे हैं या घर में हैं, उन पर इस दवा का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें हेल्थ समाचार की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

Published Date: January 18, 2022 11:10 AM IST