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रोजगार के मुद्दे पर आंदोलन को मजबूत करने के लिए कई रविवार को कई संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाने का फैसला किया है. ये संगठन आगामी मई महीने में सभी राज्यों में ‘रोजगार संसद’ का आयोजन करेंगे. दिल्ली के मंत्री गोपाल राय के फाउंडेशन ‘देश की बात’ की ओर से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय रोजगार सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया. सम्मेलन के मुख्य अतिथि गोपाल राय ने कहा कि हमारा देश वर्तमान में एक गंभीर बेरोजगारी के मुद्दे का सामना कर रहा है. उन्नत डिग्री के साथ भी, युवा काम के लिए दर-दर भटकते हैं. नए रोजगार पैदा करने के बजाय, कई लाख सरकारी पद खाली हैं, जबकि युवकों पर लाठीचार्ज कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय रोजगार नीति तैयार करना समय की मांग है.
छात्रों, युवाओं, शिक्षकों, मजदूर संगठनों, किसानों, महिलाओं, एलजीबीटीक्यू प्लस, पत्रकारों, दलितों और आदिवासियों के 200 से अधिक संगठनों ने सम्मेलन में भाग लिया. संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति (एसआरएएस) नामक संयुक्त मोर्चा का गठन किया गया. राय ने कहा कि ये सभी संगठन बेरोजगारी के मुद्दों और आर्थिक समस्याओं पर अलग-अलग तरीकों से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार इस चिंता पर कोई ध्यान नहीं देती है.
सम्मेलन में दिल्ली में 16 अगस्त से बेरोजगारी के खिलाफ राष्ट्रीय आंदोलन शुरू करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया. यह भी निर्णय लिया गया कि पिछले साल दिल्ली में जंतर मंतर पर आयोजित रोजगार संसद की तर्ज पर सभी राज्यों में एक मई से 26 मई तक ‘रोजगार संसद’ आयोजित की जाएगी. जंतर मंतर पर आयोजित ‘रोजगार संसद’ में आइसा, एआईएसएफ, सीवाईएसएस और डीएसएफ सहित 30 छात्र संगठनों ने भाग लिया था. इस संबंध में जुलाई माह में देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों तथा तहसील व जिला स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.
(इनपुट-एजेंसी)
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