NDA से अलग हुआ SAD तो अमरिंदर सिंह ने ली चुटकी- फैसले को बादल परिवार के लिए 'राजनीतिक मजबूरी' बताया

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर (Amarinder Singh) सिंह ने NDA से अलग होने के अकाली दल के फैसले को बादल परिवार के लिए 'राजनीतिक मजबूरी' बताया.

Published: September 27, 2020 7:54 AM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Parinay Kumar

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Punjab CM Captain Amarinder Singh (File Photo)

कृषि विधेयकों (Farms Bill 2020) पर जारी टकराव के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके सबसे पुराने साथियों में शामिल शिरोमणि अकाली दल (SAD) के बीच अटूट रिश्ता आखिर टूट गया. कुछ दिन पहले ही अकाली दल ने कृषि संबंधी विधेयकों को लेकर सरकार से समर्थन वापस ले लिया और अब उसने NDA से अलग होने की घोषणा भी कर दी है. अकाली दल का अलग होना भाजपा के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि उसके सबसे विश्वस्त सहयोगियों में शामिल दो प्रमुख दल शिवसेना (Shiv Sena) और अकाली दल अब National Democratic Alliance (NDA) के साथ नहीं है.

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर (Amarinder Singh) सिंह ने NDA से अलग होने के अकाली दल के फैसले को बादल परिवार के लिए ‘राजनीतिक मजबूरी’ बताया. उन्होंने कहा कि कृषि विधेयकों को लेकर भाजपा द्वारा शिअद की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने के बाद बादल के पास कोई और विकल्प नहीं रह गया था.

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के फैसले के पीछे कोई नैतिक आधार नहीं है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने कृषि विधेयकों को लेकर किसानों को नहीं मना पाने के लिए अकाली दल को जिम्मेदार ठहराया था जिसके बाद उनके पास और कोई विकल्प नहीं रह गया था.

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के भाजपा नीत सत्तारूढ़ दल ने SAD के झूठ और दोहरे रवैये को सामने ला दिया. उन्होंने कहा कि चेहरा बचाने की इस कवायद में अकाली दल और भी बड़ी राजनीतिक मुश्किल में फंस गया है, जिसमें अब उनके लिए पंजाब के साथ-साथ केंद्र में भी कोई जगह नहीं बची.

दूसरी ओर शिअद की वरिष्ठ नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर ने NDA से अलग होने के बारे में कहा कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने पंजाब की ओर से आंखें मूंद ली हैं. उन्होंने कहा कि यह वह गठबंधन नहीं है जिसकी कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कल्पना की थी. हरसिमरत कौर ने कृषि विधेयकों के विरोध में हाल में कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

उन्होंने कहा, ‘जो अपने सबसे पुराने सहयोगी दल की बातों को अनसुना करे और राष्ट्र के अन्नदाताओं की याचनाओं को नजरंदाज करे, वह गठबंधन पंजाब के हित में नहीं है.’

(इनपुट: भाषा)

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