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पश्चिम बंगाल कैबिनेट के पूर्व मंत्री और ममता बनर्जी के करीबी पार्थ चटर्जी ने पूछताछ में अब राज उगलना शुरू कर दिया है. अधिकारियों के मुताबिक चटर्जी ने कई ऐसी बातों का खुलासा किया है जो जांच की दिशा और दशा दोनों बदल सकती हैं. साथ ही इस मामले में और लोगों की भूमिका भी उजागर कर सकती हैं. सूत्रों के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस के निलंबित नेता पार्थ चटर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पार्टी में शीर्ष नेतृत्व सहित सभी को स्कूल शिक्षक के रूप में नौकरी दिलाने के लिए अपात्र उम्मीदवारों से एकत्र किए गए धन के बारे में पता था. एक जांचकर्ता के अनुसार, पार्थ चटर्जी ने मंत्री पद गंवाने और पार्टी से निलंबित होने के बाद बोलना शुरू कर दिया है.
मालूम हो कि पार्थ चटर्जी दो दशकों से अधिक समय से विधायक हैं. कुछ का यह भी दावा है कि वह 90 के दशक की शुरूआत में उन कांग्रेस नेताओं में से थे जिन्होंने ममता बनर्जी को गाइड किया था. वह दिवंगत सुब्रत मुखर्जी के करीबी सहयोगी रहे हैं और उन्हें कभी भी उस तरह के अपमान या शारीरिक और मानसिक दबाव का सामना नहीं करना पड़ा, जो शनिवार को 70 साल की उम्र में झेल रहे हैं. कोई आश्चर्य नहीं, वह बोल रहे हैं.
एक अधिकारी ने कहा, ‘चटर्जी ने दावा किया कि वह सिर्फ संरक्षक थे. उन्होंने कभी कोई पैसा नहीं मांगा और न ही उम्मीदवारों से कोई स्वीकार किया. एक पार्टी डिक्टेट थी और वह आदेशों का पालन कर रहा था. उसे दूसरों द्वारा तैयार किए गए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना था. पैसा दूसरों द्वारा भी एकत्र किया गया था और उसे भेज दिया. उसे पैसे सुरक्षित रखने का निर्देश दिया गया था. बाद में पार्टी के उपयोग के लिए सैकड़ों करोड़ ले लिए गए थे. राशि का केवल एक अंश जब्त किया गया है. यह उसने अब तक खुलासा किया है.’
उन्होंने कहा, ‘पार्थ चटर्जी अब दावा करते हैं कि पार्टी ने अन्य विभागों में भी नौकरियां बेचकर पैसा कमाया. यह संस्कृति पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने से पहले की है. लोगों को कथित तौर पर पैसे देकर रेलवे की नौकरी मिली. उन्होंने यह भी उल्लेख किया है माजेरहाट में एक निश्चित कार्यालय जहां ये सौदे हुए थे. पार्थ चटर्जी का दावा है कि पार्टी को उनके भाग्य के बारे में निर्णय लेने में इतना समय लगा क्योंकि अन्य नेता अपने घरों की सफाई कर रहे थे. एक बार यह खत्म हो जाने के बाद, उन्होंने अपने हाथ धो लिए, उन्हें के बचाव के लिए छोड़ दिया गया.’
पार्थ चटर्जी ने दावा किया है कि कई अन्य शीर्ष नेताओं ने अर्पिता मुखर्जी के नाम पर खरीदी गई संपत्तियों को छोड़ दिया है. हालांकि, ये केवल आरोप हैं जिन्हें अदालत के समक्ष साबित करना होगा. ऐसे में ईडी कोई जोखिम नहीं ले रहा है क्योंकि कोई भी गलत कदम पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी के खिलाफ मौजूदा मामले को खत्म कर सकता है.
(इनपुट- एजेंसी)
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