
Tractor Parade Video: दिनभर उत्पात मचाने के बाद वापस लौटे किसान, देखें लाल किले का भयावह मंजर, पुलिसकर्मियों ने ऐसे बचाई अपनी जान
Tractor Parade Video: दिन की शुरुआत जश्न के माहौल से हुई जिसमें किसान ‘‘रंग दे बसंती’’ और ‘‘जय जवान जय किसान’’ के नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे.

Farmers Tractor rally Latest Updates: आज जहां 26 जनवरी हर्षोल्लास का दिन था तो वहीं दोपहर आते आते यह दिन पूरे देश के दागदार बन गया. राष्ट्रीय राजधानी में कृषि कानूनों के खिलाफ ट्रैक्टर परेड के दौरान घंटों फैली अराजकता के बाद हजारों किसानों ने मंगलवार शाम सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर स्थित अपने-अपने प्रदर्शन शिविरों की ओर लौटना शुरू कर दिया. लालकिले और मुकरबा चौक पर डटे किसान भी अपने शिविरों की ओर लौट गए.
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पिछले दो महीनों से दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों ने दिनभर दिल्ली के कई जगहों पर भारी उत्पात मचाया. कहने को तो किसानों ने ट्रैक्टर परेड की इजाजत ली ली थी लेकिन उनकी इस रैली में टैक्टर के साथ साथ कार, हैवी वाहन, मोटर साइकिल यहां तक कि उनके साथ घोड़ भी शामिल किए गए. देखते देखते हालात इतने बिगड़ गए कि प्रशासन को अर्द्धसैनिक बल की कई टुकड़ियां तैनात करनी पड़ीं.
बड़ी संख्या में उग्र प्रदर्शनकारी बैरियर तोड़ते हुए लालकिला पहुंच गए और उसकी प्राचीर पर उस स्तंभ पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया जहां भारत का तिरंगा फहराया जाता है. राजपथ से लालकिला तक हजारों प्रदर्शनकारी कई स्थानों पर पुलिस से भिड़े जिससे दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हुई. किसानों का दो महीने से जारी प्रदर्शन अब तक शांतिपूर्ण रहा था. लाल किले का मंजर इतना भयानक था कि पुलिस कर्मियों ने किसी तरह से ऊंची ऊंची दीवारों से कूदकर अपनी जान बचाई.
#WATCH | Delhi: Protestors attacked Police at Red Fort, earlier today. #FarmersProtest pic.twitter.com/LRut8z5KSC
— ANI (@ANI) January 26, 2021
जिस समय किसानों ने लाल किले पर कब्जा किया उसमय गणतंत्र दिवस परेड पर शामिल होने के लिए आए बच्चों से समेत करीब 300 कलाकार लाल किए के पास फंस गए. बाद में दिल्ली पुलिस के जवानों ने उन्हें वहां से सुरक्षित निकाला. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोपहर में करीब दो घंटे तक फंसे रहने के बाद उन्हें दिल्ली पुलिस के जवानों ने सुरक्षित बचा लिया. उन्हें नाश्ता दिया गया और सुरक्षित वहां से निकाला गया.
किसानों को प्रशासन की तरफ से 12 बजे का समय दिया गया था लेकिन ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों और कुछ घोड़ों पर सवार किसान तय समय से दो घंटे पहले बेरिकेड तोड़ते हुए दिल्ली में प्रवेश कर गए. शहर में कई स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई जिस दौरान लोहे और कंक्रीट के बैरियर तोड़ दिये गए और ट्रेलर ट्रकों को पलट दिया गया.
इस दौरान सड़कों पर अप्रत्याशित दृश्य देखने को मिले. इनमें से सबसे अभूतपूर्व दृश्य लालकिले पर दिखा जहां प्रदर्शनकारी एक ध्वज-स्तंभ पर चढ़ गए और वहां सिख धर्म का झंडा ‘निशान साहिब’ फहरा दिया जहां पर भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान तिरंगा फहराया जाता है. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि दिन में हिंसा के दौरान उसके 83 कर्मी घायल हो गए. वहीं, ट्रैक्टर पलटने से आईटीओ के पास एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई.
दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी ईश सिंघल ने कहा, ‘‘प्रदर्शनकारियों ने रैली के लिए निर्धारित शर्तों का उल्लंघन किया. किसानों ने निर्धारित समय से काफी पहले ही ट्रैक्टर रैली शुरू कर दी. उन्होंने हिंसा और तोड़फोड़ की.’’ सिंघल ने कहा, ‘‘हमने वायदे के अनुरूप सभी शर्तों का पालन किया और अपने सभी प्रयास किए, लेकिन प्रदर्शन में सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है. प्रदर्शन के दौरान अनेक पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं.’’
वहीं, कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाले किसान नेताओं ने उन प्रदर्शनों से खुद को अलग कर लिया जिसने ऐसा अप्रत्याशित मोड़ ले लिया जिससे उनके आंदोलन को अब तक मिली लोगों की सहानुभूति भी छिनने का खतरा उत्पन्न हो गया है.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में संवेदनशील जगहों पर अतिरिक्त संख्या में अर्द्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है. कितनी संख्या में अर्द्धसैनिक बलों को तैनात किया जा रहा है, इसकी पुख्ता जानकारी नहीं है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि 15-20 कंपनियां (1,500 से 2,000 कर्मी) तैनात की जाएंगी.
मंत्रालय ने हालात के मद्देनजर आज दिन में दिल्ली के कुछ इलाकों जैसे सिंघू, गाजीपुर, टीकरी, मुकरबा चौक और नांगलोई आसपास के क्षेत्रों में मंलवार दोपहर से 12 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी. आंदोलनरत 41 किसान यूनियनों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया कि कुछ ‘‘असामाजिक तत्व’’ उसके प्रदर्शन में घुस गए. मोर्चा ने “अवांछित “और “अस्वीकार्य” घटनाओं की निंदा की और खेद जताया क्योंकि कुछ किसान समूहों द्वारा मार्च के लिए पहले से तय रास्ता बदलने के बाद परेड हिंसक हो गई.
सूर्यास्त तक हिंसा की कुछ घटनाएं जारी रहीं और उग्र भीड़ कई स्थानों पर सड़कों पर घूम रही थी. किसानों के कुछ समूह टीकरी, सिंघू और गाजीपुर में अपने धरना स्थल की ओर रवाना हुए लेकिन हजारों प्रदर्शनकारी देर तक जमे रहे. लालकिले पर हजारों किसान जमा हो गए, लेकिन वे शाम में वापस लौट गए.
पुलिस ने कुछ जगहों पर अशांत भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. वहीं आईटीओ पर सैकड़ों किसान द्वारा पुलिसकर्मियों को लाठियां लेकर दौड़ाते और खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारते दिखे. आईटीओ एक संघर्षक्षेत्र की तरह दिख रहा था जहां गुस्साये प्रदर्शनकारी कार को क्षतिग्रस्त करते दिखे. सड़कों पर ईंट और पत्थर बिखरे पड़े थे. यह इस बात का गवाह था कि जो किसान आंदोलन दो महीने से शांतिपूर्ण चल रहा था अब वह शांतिपूर्ण नहीं रहा.
दिन चढ़ने के साथ ही हजारों किसान इधर उधर घूमते दिखे. हजारों और किसान आईटीओ से लगभग चार किलोमीटर दूर स्थित लाल किले पर एकत्रित हो गए. इनमें से कुछ पैदल, कुछ ट्रैक्टर और यहां तक कि कुछ घोड़ों पर सवार होकर वहां पहुंचे थे. भीड़ बढ़ने के साथ ही तनाव भी बढ़ने लगा. आईटीओ पर पुलिस द्वारा पीछे धकेले जाने पर कुछ प्रदर्शनकारी किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ लालकिला परिसर की ओर चल दिये. बड़ी भीड़ एकत्रित होने पर सुरक्षाकर्मियों उन्हें देखते रहे.
पुलिस ने शाहदरा के चिंतामणि चौक पर किसानों पर तब लाठीचार्ज किया जब उन्होंने बैरिकेड तोड़ने के साथ ही कारों की खिड़की के शीशे तोड़ दिए. ‘निहंगों’ का एक समूह अक्षरधाम मंदिर के पास सुरक्षाकर्मियों से भिड़ गया. पश्चिमी दिल्ली के नांगलोई चौक और मुकरबा चौक पर किसानों ने सीमेंट के बेरीकेड तोड़ दिये और पुलिस ने उन्हें खदेड़ने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया.
दिन की शुरुआत जश्न के माहौल से हुई जिसमें किसान ‘‘रंग दे बसंती’’ और ‘‘जय जवान जय किसान’’ के नारे लगाते हुए अपनी प्रस्तावित परेड के लिए अपने ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों, घोड़ों और यहां तक की क्रेनों पर राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पार कर रहे थे.
विभिन्न स्थानों पर सड़कों के दोनों ओर खड़े स्थानीय लोग ढोल-नगाड़ों की थाप के बीच किसानों पर फूल बरसाते दिखे. झंडे लगे वाहनों के ऊपर खड़े प्रदर्शनकारी ‘‘ऐसा देश है मेरा’’ और ‘‘सारे जहां से अच्छा’’ जैसे देशभक्ति गीतों की धुन पर नाचते देखे गए. हालांकि इसके तुरंत बाद मूड बदल गया.
संयुक्त किसान मोर्चे ने ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा की निंदा की और बाद में परेड को रद्द कर दिया. मोर्चे ने किसानों से अपील की कि वे तत्काल दिल्ली से अपने प्रदर्शन शिविरों में लौट आएं. इसने एक बयान में कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा और आगे के कदमों पर जल्द निर्णय किया जाएगा.
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