Top Recommended Stories

वाजपेयी जी का हिंदी प्रेम: संसद से संयुक्‍त राष्‍ट्र तक लहराया राष्‍ट्रभाषा का परचम

अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे राजनेताओं में शुमार थे, जिन्हें विरोधी दलों के सदस्यों का सम्मान और प्यार दोनों हासिल था.

Published: August 16, 2018 8:24 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Aditya N. Pujan

वाजपेयी जी का हिंदी प्रेम: संसद से संयुक्‍त राष्‍ट्र तक लहराया राष्‍ट्रभाषा का परचम
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी.

नई दिल्ली: ‘एक-दो नहीं, कर लो बीसियों समझौते, पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा’, संसद में पोखरण परीक्षण के बाद दिए गए तेजस्वी भाषण और सन् 1977 में संयुक्त राष्ट्र के 32वें अधिवेशन में हिंदी में भाषण देने वाले पहले व्यक्ति विख्यात कवि, लेखक, पत्रकार और दिग्गज राजनेता भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी की एम्स में अंतिम सांसें थमने के साथ एक युग का गुरुवार को अंत हो गया.

Also Read:

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25, दिसंबर 1924 को जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे राजनेताओं में शुमार थे, जिन्हें विरोधी दलों के सदस्यों का सम्मान और प्यार दोनों हासिल था. उनके बाबा श्यामलाल वाजपेयी ने उनका नाम अटल रखा था. मां कृष्णादेवी उन्हें ‘अटल्ला’ कहकर पुकारती थीं. उनके पिता पं. कृष्ण बिहारी वाजपेयी हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी तीनों भाषाओं के विद्वान थे. इसी कारण अटल अपने बचपन से ही भाषण-कला में निपुण हो गए थे.

अटल ने विक्टोरिया कॉलेजियट स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा हासिल की, उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की. स्कूली दिनों में उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख कार्यकर्ता नारायण राव तरटे ने काफी प्रभावित किया. अटल ने स्कूली शिक्षा लेने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शाखा प्रभारी के रूप में कार्य किया. 1943 में कॉलेज छात्र संघ के सचिव और 1944 में उपाध्यक्ष बनने वाले अटल ने ग्वालियर से स्नातक उपाधि और कानपुर के डीएवी कॉलेज से स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की. अटल ने अपने कॉलेज जीवन के दौरान ही कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं. कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पत्रकारिता की, लेकिन थोड़े दिन बाद अटल ने पत्रकारिता छोड़ राजनीति में कदम रखा, जिसके बाद उन्होंने फिर कभी भी पत्रकारिता की तरफ मुड़ कर नहीं देखा. हालांकि उनकी लिखने की चाहत हमेशा रही. यही कारण है कि उनके भाषणों में उनकी कविताएं सुनाई देती थीं.

अटलजी के निधन पर देशभर में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक, दिल्ली में कल सारे स्कूल-ऑफिस बंद

आरएसएस के सहयोग से 1951 में भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन हुआ, जिसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे नेताओं के साथ अटल बिहारी वाजपेयी की अहम भूमिका रही. अटल विहारी वाजपेयी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत सन् 1952 में लखनऊ लोकसभा सीट से की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. उसके बाद उन्होंने 1957 में उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से बतौर जनसंघ प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और लोकसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. अटल सन् 1957 से 1977 तक वह जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे और जनता पार्टी की स्थापना के बाद सत्तारूढ़ हुई मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार में 1977 से 1979 तक उन्होंने विदेश मंत्री का पद संभाला. यह वही दौर था, जब संयुक्त राष्ट्र में किसी भारतीय नेता ने पहली बार अपना भाषण हिंदी में दिया था.

वाजपेयी ने 1980 में कहा था: ‘अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा’

अपने लंबे राजनीतिक सफर में अटल ने कई उतार चढ़ाव देखे. वर्ष 1996 में वह पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन मात्र 13 दिनों के लिए, उसके बाद 1998 में मात्र 13 महीनों के लिए और अंतिम बार 1999 में उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबंधन सरकार का गठन हुआ, जिसने पांच वर्षो में देश के अंदर प्रगति के अनेक आयाम छुए. अटल के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार ऐसी पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी, जिसने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था. इस दौरान राजग गठबंधन में 24 दलों के 81 मंत्री शामिल थे. अटल एक दिग्गज राजनेता होने के साथ-साथ प्रख्यात कवि भी थे. उन्होंने अपने जीवन में कई कविताएं लिखीं और समय-दर-समय उन्हें संसद और दूसरे मंचों से पढ़ा भी.

उनकी कुछ प्रमुख कविताएं :

* दुनिया का इतिहास पूछता : रोम कहां, यूनान कहां?

घर-घर में शुभ अग्नि जलाता/वह उन्नत ईरान कहां है? दीप बुझे पश्चिमी गगन के/व्याप्त हुआ बर्बर अंधियारा.

* क्षमा याचना : क्षमा करो बापू! तुम हमको, वचन भंग के हम अपराधी, राजघाट को किया अपावन, मंजि़ल भूले, यात्रा आधी. जयप्रकाश जी! रखो भरोसा, टूटे सपनों को जोड़ेंगे. चिताभस्म की चिंगारी से, अंधकार के गढ़ तोड़ेंगे.

* भारत जमीन का टुकड़ा नहीं/जीता जागता राष्ट्रपुरुष है/हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं. पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं/कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है/यह चंदन की भूमि है, अभिनंदन की भूमि है, यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है. इसका कंकर-कंकर शंकर है/इसका बिंदु-बिंदु गंगाजल है/हम जिएंगे तो इसके लिए/मरेंगे तो इसके लिए.

* पंद्रह अगस्त की पुकार : पंद्रह अगस्त का दिन कहता, आजादी अभी अधूरी है. सपने सच होने बाकी है, रावी की शपथ न पूरी है. जिनकी लाशों पर पग धर कर, आजादी भारत में आई, वे अब तक हैं खानाबदोश, गम की काली बदली छाई. कलकत्ते के फुटपाथों पर, जो आंधी-पानी सहते हैं. उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त के, बारे में क्या कहते हैं. हिंदू के नाते उनका दु:ख, सुनते यदि तुम्हें लाज आती. तो सीमा के उस पार चलो, सभ्यता जहां कुचली जाती.

* इंसान जहां बेचा जाता, ईमान खरीदा जाता है. इस्लाम सिसकियां भरता है, डॉलर मन में मुस्काता है. भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं. सूखे कंठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं.

अटल के निधन पर बोले आडवाणी, मैंने 65 साल पुराना दोस्त खो दिया

लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया. पख्तूनों पर, गिलगित पर है गमगीन गुलामी का साया. बस इसीलिए तो कहता हूं आजादी अभी अधूरी है. कैसे उल्लास मनाऊं मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है. दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुन: अखंड बनाएंगे. गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएंगे. उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें. जो पाया उसमें खो न जाएं, जो खोया उसका ध्यान करें.

यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ का ऐलान, प्रदेश की सभी नदियों में विसर्जित की जाएगी अटलजी के शरीर की राख

कवि से लेकर एक दिग्गज राजनेता तक अटल का व्यक्तित्व और उनका रवैया किसी से छिपा नहीं है. चाहे वह 1977 में सुयंक्त राष्ट्र के अंदर हिंदी में दिया गया उनका भाषण हो या फिर पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद संसद के अंदर विपक्ष को लेकर उनके तीखे हमले. अटल के अंतिम सांसों के थमने के बाद भले ही एक कवि और राजनेता के कद्दावर युग का अंत हो गया हो, लेकिन उनकी कविताएं युवा पीढ़ी के दिलों में हमेशा पढ़ी जाएंगी.

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें देश की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts Cookies Policy.