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इन चार वजहों से Prashant Kishor की कांग्रेस में नहीं हो पाई एंट्री? पढ़ें इनसाइड स्टोरी

प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के कांग्रेस में शामिल होने की तैयारियां लगभग पूरी मानी जा रही थी, फिर ऐसा क्या हुआ कि पीके की एंट्री पर फिर से रोक लग गई.

Updated: April 27, 2022 10:08 AM IST

By Nitesh Srivastava

Prashant Kishor
File Photo of Poll Strategist Prashant Kishor

करीब दो हफ्तों तक चली लंबी एक्सरसाइज के बाद प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के कांग्रेस में शामिल होने के चैप्टर पर फुलस्टॉप लग गया. PK ने कांग्रेस को सलाह दी कि उन्हें मेरी नहीं बल्कि अच्छी लीडरशिप और बदलाव की जरूरत है. हालांकि कुछ दिनों पहले तक कांग्रेस पार्टी के नेता प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के सुझावों से न सिर्फ सहमत थे बल्कि उत्साहित भी नजर आ रहे थे. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या वजह थी कि अंतिम समय में पेंच फंस गया. सूत्रों की मानें तो कुल चार वजह थीं, जिनके कारण प्रशांत (Prashant Kishor) की कांग्रेस में दूसरी बार एंट्री रुक गई. आइए इन वजहों पर एक बार नजर डालते हैं.

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पहली वजह

प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) चाहते थे कि उनकी रिपोर्टिंग सिर्फ सोनिया गांधी को हो, वह न ही किसी सीनियर लीडर को जवाब देना चाहते थे और न ही किसी के अंडर में रहकर काम करना चाहते थे जबकि कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं थी. बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी ने 2024 के चुनावों की रणनीति के लिए एक कमेटी बनाई थी, पीके को इस कमेटी में शामिल होने का ऑफर दिया गया तो उन्होंने इसे खारिज कर दिया. सूत्र बताते हैं कि वह इस कमेटी के अध्यक्ष बनना चाहते थे लेकिन सोनिया गांधी को ये मंजूर नहीं था.

दूसरी वजह

प्रशांत किशोर को पार्टी में बड़े स्तर पर बदलाव की वकालत कर रहे थे, वे चाहते थे कि पार्टी के भीतर किसी भी पद पर एक फिक्स्ड टर्म का नियम लागू हो. पार्टी के कई नेता इस नियम के पक्ष में नहीं थे, क्योंकि ऐसा करने पर गांधी परिवार की कुर्सी पर भी खतरा मंडरा सकता है.

तीसरी वजह

पीके का मानना था कि कांग्रेस को अपना राजनीतिक दायरा बढ़ाने के लिए पार्टी को उत्तर प्रदेश, बिहार औक ओडिशा में अकेले चलने के अलावा महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बंगाल जैसे राज्यों में गठबंधन की नीति पर चलना चाहिए. साथ ही वह इस अलायंस स्ट्रैटेजी को खुद लीड करना चाहते थे, जिसके लिए पार्टी आलाकमान तैयार नहीं था.

चौथी वजह

सबसे बड़ा कारण ये था कि कांग्रेस को पीके के आई-पैक के साथ रिश्तों पर संदेह था. जहां एक तरफ प्रशांत लगातार यह साफ कर रहे थे कि उनका आई-पैक के साथ कोई नाता नहीं रहा है वहीं कांग्रेस यह स्वीकार करने को तैयार नहीं थी, वह लगाताक आई-पैक के साथ अन्य राजनीतिक दलों के करार को तोड़ने की बात कर रही थी.

यह पहला मौका नहीं है जब प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों ने जोर पकड़ा हो, इससे पहले अक्टूबर 2021 में भी ऐसा ही एक मौका आया था, लेकिन उस वक्त कांग्रेस के तथाकथित जी-23 ग्रुप ने आपत्ति जताई थी, जिसके कारण वो कांग्रेस में शामिल नहीं हो पाए थे.

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