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India-China Border Dispute: अमेरिका से समझौते के लिए भारत ने टाल दी थी चीन से 8वें दौर की वार्ता! अब फिर शुरू होगी बातचीत

India-China Border Dispute: कूटनीति के क्षेत्र में कई चीजें संकेतों से तय होती है. कुछ ऐसा ही भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद को लेकर बातचीत में देखने के मिला है.

Published: October 30, 2020 7:47 AM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Santosh Singh

India and china trade
(FILE IMAGE)

India-China Border Dispute: कूटनीति के क्षेत्र में कई चीजें संकेतों से तय होती है. कुछ ऐसा ही भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद को लेकर बातचीत में देखने के मिला है. दरअसल, दोनों देशों के बीच विवाद को सुलझाने के लिए अब तक सात दौर की वार्ता हो चुकी है. जानकार बताते हैं कि 12 अक्टूबर को सातवें दौर की वार्ता के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला था तो भारत ने इसके प्रति थोड़ी बेरुखी दिखाई. हालांकि भारत सरकार ने आधिकारिक बयान में इस बात को खारिज कर दिया है. दरअसल, जानकार यह बता रहे हैं कि अमेरिका से साथ 2+2 वार्ता में हुए रणनीतिक समझौते को लेकर लेकर भारत ने चीन के साथ बातचीत में थोड़ी सुस्ती दिखाई. अब जबकि भारत-अमेरिका में बाकायदा रणनीतिक समझौता हो गया है तब भारत ने आठवें दौर की वार्ता के लिए कदम बढ़ाया है.

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इस संबंध पूछे गए सवाल पर भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि सीमा विवाद को लेकर चीन के साथ उसकी सैन्य वार्ता का ‘‘किसी भी बाहरी मुद्दे” से कोई संबंध नहीं है. यह टिप्पणी हाल ही में सम्पन्न भारत-अमेरिका ‘टू प्लस टू’ वार्ता की पृष्ठभूमि में आई है जिसमें दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की सैन्य आक्रामकता पर चर्चा की तथा एक रणनीतिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने चीन के साथ कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता के अगले दौर के बारे में कहा कि दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक माध्यमों से बातचीत जारी रखने तथा जल्द से जल्द सैनिकों की वापसी के लिए पारस्परिक रूप से स्वीकार्य किसी समाधान पर पहुंचने के लिए सहमत हुए हैं.

उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, ‘‘बातचीत के अगले दौर के संबंध में, जब हमारे पास साझा करने के लिए और जानकारी होगी, हम आपको अवगत करा देंगे. मैं यह स्पष्ट कर दूं कि इसके और किसी बाहरी मुद्दे के बीच कोई संबंध नहीं है.’’ चीन के साथ सीमा विवाद से जुड़े सवालों के अलावा उनसे यह प्रश्न भी किया गया था कि क्या चीन ने भारत और अमेरिका के बीच मूलभूत विनिमय और सहयोग करार (बीईसीए) को लेकर सैन्य वार्ता के अगले दौर में देरी की है.

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हालिया टू प्लस टू के संबंध में… विदेश मंत्री ने कहा था कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर हमारी वार्ता में विशेष ध्यान था. हमने इस क्षेत्र में सभी देशों के लिए समृद्धि, स्थिरता और शांति के महत्व को दोहराया.’’ उन्होंने कहा, “यह तभी संभव है जब नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था कायम रहे, अंतरराष्ट्रीय समुद्रों में नौवहन की आजादी सुनिश्चित हो… सभी राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान हो.’’

श्रीवास्तव ने 12 अक्टूबर को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुयी सैन्य वार्ता के अंतिम दौर का जिक्र करते हुए कहा कि इससे दोनों पक्षों के बीच गहन विचार-विमर्श हुआ और एक-दूसरे के रूख को लेकर समझ बढ़ी. उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक माध्यमों से बातचीत जारी रखने और जितनी जल्दी हो सके, सैनिकों की वापसी के लिए पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के लिए सहमत हुए थे.’’

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्ष दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी इस समझ पर सहमत हुए कि मतभेदों को विवादों में नहीं बदलने दिया जाए तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में संयुक्त रूप से शांति की रक्षा करें. सीमा विवाद को लेकर दोनों पक्षों के बीच अब तक उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के सात दौर आयोजित किए गए हैं. हालांकि टकराव वाले स्थानों से सैनिकों की वापसी को लेकर कोई सफलता नहीं मिली है. भारत का यह रूख रहा है कि पर्वतीय क्षेत्र में टकराव वाले स्थानों से सैनिकों की वापसी और तनाव में कमी के लिए प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी चीन पर है.

(इनपुट-भाषा)

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