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चालक दल के फंसे सदस्यों को बदलने को लेकर चीन के साथ सम्पर्क में है भारत: विदेश मंत्रालय

चीनी प्राधिकारियों ने कोरोना वायरस-संबंधी पाबंदियों का हवाला देते हुए जहाजों को गोदी में जाने या चालक दल के सदस्यों को बदलने की महीनों तक अनुमति नहीं दी.

Published: January 22, 2021 8:31 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Amit Kumar

चालक दल के फंसे सदस्यों को बदलने को लेकर चीन के साथ सम्पर्क में है भारत: विदेश मंत्रालय

भारत ने शुक्रवार को कहा कि वह चीनी जलक्षेत्र में एक मालवाहक जहाज पर करीब चार महीने से फंसे 16 भारतीय नाविकों को जल्द से जल्द बदलने के लिए चीन के साथ सम्पर्क में है. 39 भारतीय चालक दल के सदस्य चीनी जलक्षेत्र में दो मालवाहक जहाजों पर फंसे हुए हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि एमवी जग आनंद ने जापान में नाविकों के लिए चालक दल को बदला है और भारतीय नाविक वापस भारत आ रहे हैं.

उन्होंने एक आनलाइन प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘एमवी अनास्तासिया के मामले में जिस पर 16 भारतीय चालक दल के सदस्य हैं और जो चीन में कोफेडियन बंदरगाह पर लंगर डाले हुए है. बीजिंग में हमारा दूतावास चालक दल के सदस्यों को जल्द से जल्द बदलने के लिए चीनी पक्ष, उसके केंद्र सरकार और प्रांतीय स्तरों, दोनों के संपर्क में है.’’

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श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हमारा दूतावास दोनों शिपिंग कंपनियों के साथ-साथ संबंधित चीनी अधिकारियों के साथ लगातार काम कर रहा है ताकि चालक दल की कुशलता सुनिश्चित करने के साथ ही इस मामले को आगे बढ़ाया जा सके.’’ इस महीने की शुरुआत में, भारत ने ‘‘गंभीर मानवीय स्थिति को देखते हुए दोनों जहाजों पर फंसे 39 भारतीय नाविकों के लिए ‘‘तत्काल, व्यावहारिक और समयबद्ध’’ सहायता मांगी थी.

चीनी प्राधिकारियों ने कोरोना वायरस-संबंधी पाबंदियों का हवाला देते हुए जहाजों को गोदी में जाने या चालक दल के सदस्यों को बदलने की महीनों तक अनुमति नहीं दी. भारतीय मालवाहक जहाज एमवी जग आनंद पर 23 भारतीय नाविक हैं और यह जहाज पिछले साल 13 जून से चीन के हेबेई प्रांत में जिंगतांग बंदरगाह के पास लंगर डाले हुए है जबकि एमवी अनास्तासिया, 16 भारतीयों के साथ 20 सितंबर से कोफिडियन बंदरगाह पर लंगर डाले हुए है.

मछुआरों का मुद्दा भारत-श्रीलंका संबंधों में अड़चन होने के बारे में पूछे जाने पर, श्रीवास्तव ने कहा कि यह दोनों पक्षों के बीच चर्चा के एजेंडे में रहा है और उच्चतम स्तर पर यह एहसास है कि यह एक मानवीय मुद्दा है, जिसे मानवीय तरीके से हल करना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘समस्या से निपटने के लिए अच्छी तरह से स्थापित द्विपक्षीय तंत्र है.’’

कोलंबो ईस्ट कंटेनर टर्मिनल परियोजना की स्थिति पर श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हम इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए श्रीलंका सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं. हमें भारत और जापान के निवेश से ईस्ट कंटेनर टर्मिनल के विकास पर खुशी होगी जिसका चयन श्रीलंका की वर्तमान सरकार द्वारा किया गया है.’’

(इनपुट भाषा)

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