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जनरल Manoj Pande ने संभाला थलसेना प्रमुख का कार्यभार, कई अहम मिशन में ले चुके हैं भाग

जनरल मनोज पांडे देश के नए थल सेनाध्यक्ष के रूप में पद संभाल चुके हैं. वे मनोज मुकंद नरवणें की जगह पर भारतीय थल सेना के नए अध्यक्ष बनाए गए हैं. इससे पहले वे कई अहम मिशन में भाग ले चुके हैं. यहां जानें उनके बारे में कुछ तथ्य.

Updated: April 30, 2022 1:10 PM IST

By Avinash Rai

जनरल Manoj Pande ने संभाला थलसेना प्रमुख का कार्यभार, कई अहम मिशन में ले चुके हैं भाग

Indian Army Chief General Manoj Pande: भारतीय सेना के पराक्रमी और अनुभवी लेफ्टीनेंट जनरल मनोज पांडे (Manoj Pande) आज देश के नए सेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाल चुके हैं. इसी के साथ मनोज कुमार पांडे 29वें थल सेना प्रमुख बन गए हैं. इससे पहले 28वें थलसेना प्रमुख एमएम नरवणे थे जो आज अपने पद से सेवानिवृत हो चुके हैं. बता दें कि शुक्रवार को भारतीय सेना में इंजीनियर इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल को कोर ऑफ इंजीनियर्स की ओर से नामित थन सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे को परिधान सौंपे. बता दें कि मनोज कुमार पांडे कोर ऑफ इंजीनियर्स के पहले अधिकारी होंगे जो चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ भी रहेंगे.

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पहली बार हो रहा ऐसा

भारतीय सेना में ऐसा पहली बार हो रहा है जब सेना की इंजीनियर कोर के किसी अधिकारीक को थलसेना की कमान सौंपी जा रही है. इससे पहले 28 बार तक पैदल सेना, तोपखाना और बख्तरबंद रेजिमेंट के अधिकारी ही भारतीय थल सेना के प्रमुख बनते रहे हैं. लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे अभी थल सेना के उप प्रमुख हैं. बता दें कि 18 अप्रैल को उनके सेना प्रमुख बनाए जाने का ऐलान किया गया था.

अबतक पूर्वी कमान की कर रहे थे अगुवाई

मनोज कुमार पांडे आज एमएम नरवणें के बाद 30 अप्रैल को 29वें थल सेना प्रमुख के रूप में पदग्रहण करने वाले हैं. थल सेना प्रमुख बनने से पहले मनोज कुमार पांडे थल सेना की पूर्वी कमान की अगुवाई कर रहे थे. इस कमान पर सिक्किम और अरुणाचल प्रधेश सेक्टरों में वास्तिवक रेखा की रक्षा की जिम्मेदारी है. बता दें कि मनोज कुमार पांडे अपने करियर के दौरान अंडमान निकोबार कमान के प्रमुख के तौर पर भी सेवा दे चुके हैं.

ऑपरेशन पराक्रम का भी अनुभव

मनोज कुमार पांडे अपने पूरे करियर के दौरान कई अहम पदों पर बड़ी जिम्मेदारियां निभा चुके हैं. वे कई इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियानों में हिस्सा ले चुके हैं. जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान नियंत्रण रेखा के पास एक इंजीनियर रेजिमेंट की कमान संभालने का अनुभव है. साथ ही वे पश्चिमी लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाकों में एक पर्वतीय डिवीजन और पूर्वोत्तर में एक कोर की भी कमान संभाल चुके हैं.

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