
डॉक्टर बनने के लिए यूक्रेन क्यों जाते हैं इतने भारतीय छात्र, ये है बड़ी वजह
चीन और फिलीपींस के बाद सबसे अधिक भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिये यूक्रेन जाते हैं.

नई दिल्ली: चीन और फिलीपींस के बाद सबसे अधिक भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिये यूक्रेन जाते हैं. भारतीय मेडिकल छात्र कई कारणों से यूक्रेन को मेडिकल शिक्षा हासिल करने के लिये उपयुक्त जगह मानते हैं. उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, रूस के साथ युद्धरत यूक्रेन में भारत के करीब 18, 000 छात्र फंसे हैं. इनमें से अधिकतर छात्र मेडिकल की शिक्षा प्राप्त करने के लिये वहां गये हैं. अब तक यूक्रेन से करीब एक हजार भारतीय नागरिकों को वापस स्वदेश लाया गया है.
Also Read:
- चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग मॉस्को में रूसी प्रेसिडेंट पुतिन से मिले, यूक्रेन युद्ध खत्म करने को लेकर क्या है प्लान
- पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट के मद्देनजर यूक्रेन पर रूसी हमले जारी, 24 घंटों में 34 एयर अटैक, एक मिसाइल, 57 राउंड एंटी-एयरक्राफ्ट फायर किए
- रूस-यूक्रेन युद्ध का एक साल: राष्ट्रपति जेलेंस्की ने युद्ध की वर्षगांठ पर जीत का संकल्प लिया
साक्षी यादव का छोटा भाई मनदीप यादव और छोटी बहन महिमा यादव यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करते हैं. साक्षी ने आईएएनएस को बताया कि भारत में मेडिकल की पढ़ाई में जितना खर्च होता है, उससे आधे खर्च में यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई हो जाती है. उनके भाई-बहन यूक्रेन के लिव स्टेट मेडिकल सेंटर में शिक्षा हासिल कर रहे हैं. साक्षी का कहना है कि कम फीस के अलावा यूक्रेन में बेहतर बुनियादी सुविधा और पढ़ाई का अलग पैटर्न भी भारतीय छात्रों को पसंद आता है.
इसके अलावा भारत में मेडिकल की सीट भी कम है. यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई में हर साल करीब 10 लाख रुपये लगते हैं. यूक्रेन से एमबीबीएस करने वाले शिरीष मेहता ने बताया कि यूक्रेन के मेडिकल कॉलेज का बुनियादी ढांचा भारत के मुकाबले काफी अच्छा है जबकि भारत के निजी मेडिकल कॉलेज की तुलना में वहां के मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई का खर्च आधा है.
शिरीष ने कहा कि अगर सरकारी मेडिकल कॉलेजों की बात हो तो एमबीबीएस की फीस यहां करीब तीन लाख रुपये है जबकि निजी मेडिकल कॉलेजों में खर्च करीब 20 लाख रुपये प्रतिवर्ष है. शिक्षाविद् सी एस कांडपांल ने कहा कि यूक्रेन में मेडिकल की पढाई के लिये भारतीय छात्रों की एक सबसे बड़ी वजह यह है कि वहां मेडिकल में एडमिशन के लिये विशेष परीक्षा देनी होती है जबकि भारत में नीट की परीक्षा होती है.
उन्होंने बताया कि देश के लाखों छात्र हर साल नीट की परीक्षा देते हैं, जिनमें से करीब 40,000 छात्रों को ही सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल पाता है. इसी कारण से नीट में सफलता हासिल करने वाले छात्र भी यूक्रेन का रूख कर लेते हैं.
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें देश की और अन्य ताजा-तरीन खबरें