सुप्रीम कोर्ट ने 4 साल पहले दिया था निर्देश, फिर भी स्कूलों में योग शिक्षा पर निर्णय नहीं ले सकी केंद्र सरकार, बीजेपी नेता ने...

सुप्रीम कोर्ट ने काफी पहले निर्देश दिया था, लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक इस पर कुछ नहीं किया.

Published: June 21, 2020 5:59 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Zeeshan Akhtar

Yoga

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2016 में एक याचिका की सुनवाई के दौरान आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए योग शिक्षा अनिवार्य करने पर तीन महीने के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया था. मगर, चार साल बाद बीत जाने के बाद भी केंद्र सरकार इसके लिए राष्ट्रीय योग नीति पर कोई निर्णय नहीं ले पाई है. याचिका में एमएचआरडी, एनसीईआरटी और सीबीएसई से इस संबंध में कार्रवाई की मांग की गई थी. याचिका दाखिल करने वाले भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के मद्देनजर, देश के सभी स्कूलों में 14 साल तक के बच्चों के लिए योग अनिवार्य करने की जरूरत है. योग के प्रचार-प्रसार के लिए राष्ट्रीय योग नीति बनाने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब तक सरकार को इस दिशा में उचित निर्णय लेना चाहिए था.

वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने संबंधित याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से कहा था कि वह इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय और जे सी सेठ की रिट पर विचार करे. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट न होने पर याचिकाकर्ता फिर से अपील कर सकते हैं. अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि वह एमएचआरडी, राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी), राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षण परिषद (एनसीटीई) और सीबीएसई को आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए योग एवं स्वास्थ्य शिक्षा की पाठ्यपुस्तक जारी करने का निर्देश दे.

उपाध्याय ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य का अधिकार भी जीने के मौलिक अधिकार का हिस्सा कहा है. जनता के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कदम उठाना सरकार की जिम्मेदारी है. इसलिए सभी बच्चों को योग एवं स्वास्थ्य शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय योग नीति बनाना जरूरी है. तभी बच्चों को स्वास्थ्य का अधिकार मिल सकेगा. अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी सरकार ने इस दिशा में अब तक कार्रवाई नहीं की है. जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाया जा रहा है, पूरी दुनिया भारत के योग को अपना रही है, तब अपने ही देश में राष्ट्रीय योग नीति न होना दुर्भाग्यपूर्ण है.

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