Top Recommended Stories

Killing of Kashmiri Pandits: SC में जांच की मांग को लेकर क्यूरेटिव रिट दायर, 700 कश्मीरी पंडितों की हत्या दावा

सुप्रीम कोर्ट में दायर क्‍यूरेटि‍व याचिका में वर्ष 1989-90 के दौरान किए गए नरसंहार की जांच की मांग की गई थी, जिसे वर्ष 2017 में खारिज कर दिया गया था

Published: March 24, 2022 10:26 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Laxmi Narayan Tiwari

The Kashmir Files, Kashmir Files, Supreme Court, genocide, Kashmiri Pandits, Kashmir Valley
(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) में कश्मीरी पंडितों ( Kashmiri Pandits) के नरसंहार (genocide of Kashmiri Pandits) की जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज करने वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में आज गुरुवार को दोबारा विचार करने के लिए एक उपचारात्मक (क्यूरेटिव) याचिका दायर की गई है. याचिका में साल 1989-90 के दौरान किए गए नरसंहार की जांच की मांग की गई थी, जिसे वर्ष 2017 में खारिज कर दिया गया था. यह याचिका कश्मीरी पंडितों के संगठन ‘रूट्स इन कश्मीर’द्वारा दायर की गई है.

Also Read:

इस याचिका में दावा किया गया कि शीर्ष अदालत यह आंकने में नाकाम रही कि 1989 से 1998 के बीच 700 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी गई थी और 200 से अधिक मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. लेकिन किसी भी प्राथमिकी में आरोपपत्र नहीं दाखिल किया जा सका.

दरअसल, कश्‍मीरी पंडितों की हत्‍याओं पर बनी फिल्‍म ‘द कश्‍मीर फाइल्‍स’ के आने के बाद से देश में यह मांग तेजी से उठ खड़ी हुई है कि कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के नसंहार की जांच दोबारा कराई जाए और जिम्‍मेदार दोषियों को सजा दी जाए.

याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत द्वारा वर्ष 2017 में रिट याचिका का खारिज किया जाना न्यायसंगत नहीं था. इसमें यह भी कहा गया है कि याचिका को केवल इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि 1989-90 की अवधि से संबंधित घटनाओं का सबूत इतने दिनों बाद अब मिलने की संभावना नहीं है.

याचिकाकर्ता के मुताबिक अदालत ने यह भी कहा था कि इससे किसी फलदाई मकसद की प्राप्ति नहीं होगी. अब इस याचिका में कहा गया, यह वाकई न्याय करने में नाकामी के बराबर है या न्याय की पूरी तरह अवहेलना है.

याचिका में मांग की गई है कि कश्मीरी पंडितों के खिलाफ 1989-90, 1997 और 1998 में किए गये हत्या समेत अन्य अपराधों की जांच अदालत द्वारा नियुक्त केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या राष्ट्रीय जांच ब्यूरो (एनआईए) जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी से करायी जाए.

संगठन ने यह भी कहा कि इस मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस नाकाम रही है, क्योंकि सैकड़ों एफआईआर अब भी अधर में हैं. उपचारात्मक याचिका में कहा गया है कि गोधरा दंगे के बाद अदालत ने विशेष जांच दल का गठन किया था, इसी तरह अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में 33 साल बाद संज्ञान लिया था. (इनपुट: भाषा) 

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें देश की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device to enhance site navigation, analyze site usage, and assist in our marketing efforts Cookies Policy.