Kisan Andolan Latest Update: केंद्रीय मंत्रियों और 30 से अधिक किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच चल रही चल रही वार्ता के बीच केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने एक विवादित बयान देते हुए कहा है कि किसान आन्दोलन में प्रदर्शन कर रहे कई लोग किसान नहीं दिखते हैं. इस दौरान उन्होंने विपक्ष को भी निशाने पर लिया. Also Read - Kisan Andolan: किसानों ने फिर ठुकराया सरकार का प्रस्ताव, कहा- एक-दो साल के लिए नहीं, हमेशा के लिए रद्द हों कृषि कानून
वीके सिंह ने कहा, “तस्वीरों में कई लोग किसान नहीं दिखते. किसानों के हित में जो था वो किया गया है. यह किसान नहीं है जिन्हें इस (कृषि कानूनों) से कोई समस्या है, बल्कि वो दूसरे लोग हैं. विपक्ष के अलावा, कमीशन पाने वाले लोग इसके (विरोध) पीछे हैं.” Also Read - Tractor Rally: दिल्ली में ट्रैक्टर रैली पर पुलिस- किसान नेताओं के बीच नहीं बनी बात, मीटिंग बेनतीजा
किसानों के प्रदर्शन को लेकर वीके सिंह ने कहा कि जिनको कोई मतलब नहीं है, बहुत से लोग जब मैं फोटो देखता हूं तो उनमें किसान दिखाई नहीं देते हैं. बहुत कम किसान दिखाई देते हैं. जो चीज किसानों के हित में है वह की गई है. Also Read - अनाज भंडारण के लिए राज्य में 5 हजार गोदाम बनाएगी योगी सरकार
उन्होंने कहा, “स्वामिनाथन कमिटी की रिपोर्ट में भी मांग थी. समय-समय पर मांग होती रही कि किसान को स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह किसी का बंधुआ ना रहे. यह काम सरकार ने कर दिया कि मंडी में बेचना चाहते हो तो बेचो और अगर बाहर बेचना चाहते हैं तो भी वे बेच सकते हैं. इसमें किसान को नहीं बाकी लोगों को तकलीफ हो रही है. इसमें विपक्ष के साथ-साथ उन लोगों का हाथ है जो कमिशन खाते हैं.”
बता दें कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों से केंद्रीय कृषि मंत्री ने मंगलवार को यहां विज्ञान भवन में बैठक की. इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ रेल तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश, जो पंजाब के एक सांसद भी हैं, भी मौजूद थे.
उधर किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए विपक्षी दलों ने भी अपना दबाव बढ़ा दिया है और केंद्र सरकार से किसानों के ‘‘लोकतांत्रिक संघर्ष का सम्मान’’ करने और नये कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए कहा है. वहीं किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी जिससे किसान बड़े निगमित घरानों (कॉरपोरेट्स) की ‘दया’ के मोहताज हो जाएंगे.
सरकार निरंतर यह कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और कृषि में नई प्रौद्योगिकियों का समावेश बढ़ेगा.