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Kisan Andolan: नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) जारी है. सरकार और किसान संगठनों के बीच 9 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक बात नहीं बनी है. 10वें दौर की बातचीत बुधवार यानी 20 जनवरी को होगी. केंद्र सरकार ने कहा है कि दोनों पक्ष जल्द से जल्द गतिरोध सुलझाना चाहते हैं, लेकिन अलग विचारधारा के लोगों की संलिप्तता की वजह से इसमें देर हो रही है.
सरकार ने यह भी दावा किया है कि नए कृषि कानून (New Farms Laws 2020) किसानों के हित में है. इसके साथ-साथ सरकार की तरफ ये यह भी कहा गया कि जब भी कोई अच्छा कदम उठाया जाता है तो इसमें अड़चनें आती हैं. सरकार ने कहा कि मामले को सुलझाने में देर इसलिए हो रही है, क्योंकि किसान नेता अपने हिसाब से समाधान चाहते हैं.
कृषि मंत्रालय के एक बयान में सोमवार को कहा था, ‘विज्ञान भवन में किसान संगठनों के साथ सरकार के मंत्रियों की वार्ता 20 जनवरी को दोपहर 2 बजे होगी.’ उधर, सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले को सुलझाने के मकसद से गठित समिति ने भी मंगलवार को अपनी पहली बैठक की. बता दें कि सरकार और किसान संगठनों के बीच भी मंगलवार यानी 19 जनवरी को ही बैठक होनी थी, लेकिन इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया था.
कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने 40 किसान संगठनों को लिखे एक पत्र में कहा, ‘प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ सरकार के मंत्रियों की वार्ता 19 जनवरी को होने वाली थी. अपरिहार्य कारणों से बैठक को टालना आवश्यक हो गया.’ उन्होंने कहा, ‘अब बैठक विज्ञान भवन में 20 जनवरी को दोपहर 2 बजे से होगी. आपसे बैठक में भागीदारी करने का आग्रह किया जाता है.’ सरकार और किसान संगठनों के बीच पिछली बैठक बेनतीजा रही थी.
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने कहा, ‘जब किसान हमसे सीधी बात करते हैं तो अलग बात होती है, लेकिन जब इसमें नेता शामिल हो जाते हैं, अड़चनें सामने आती हैं. अगर किसानों से सीधी वार्ता होती तो जल्दी समाधान हो सकता था.’ उन्होंने कहा कि चूंकि विभिन्न विचारधारा के लोग इस आंदोलन में प्रवेश कर गए हैं, इसलिए वे अपने तरीके से समाधान चाहते हैं.
उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्ष समाधान चाहते हैं, लेकिन दोनों के अलग-अलग विचार हैं. इसलिए विलंब हो रहा है. कोई न कोई समाधान जरूर निकलेगा.’ पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों के किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले कई हफ्ते से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस बीच डिजिटल माध्यम से एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दोहराया कि तीनों कृषि कानून किसानों के लिए लाभकारी होंगे.
उन्होंने कहा, ‘पिछली सरकारें भी ये कानून लागू करना चाहती थीं, लेकिन दबाव के कारण वे ऐसा नहीं कर सकीं. मोदी सरकार ने कड़े निर्णय लिए और ये कानून लेकर आई. जब भी कोई अच्छी चीज होती है तो अड़चने भी आती हैं.’
(इनपुट: भाषा)
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