
लद्दाख गतिरोध: चीन ने फिर दिखाया रंग, बातचीत के बीच LAC पर चुपचाप बढ़ा दिया सैन्य जमावड़ा
LAC पर और सैनिकों की तैनाती के अपने प्रस्ताव का चीन ने ही उल्लंघन किया है.

Ladakh Standoff: करीब ढाई महीने के अंतराल के बाद भारत और चीन की सेनाओं ने रविवार को कोर कमांडर स्तर की नौवें दौर की वार्ता की. इसका उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ना है. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
Also Read:
- भारत ने नेपाल सरकार से कहा, अमृतपाल सिंह को किसी अन्य देश में न भागने दें , तुरंत अरेस्ट करें
- लवलीना बोर्गोहेन, निकहत जरीन ने जीता विश्व चैंपियनशिप खिताब; भारत के नाम चार गोल्ड मेडल
- सैन फ्रांसिस्को दूतावास पर हमला करने वाले खालिस्तानियों को राष्ट्रवादियों ने दिया जवाब, निकाली तिरंगा रैली, वंदे मातरम् के नारे लगाए
हालांकि इस बीच खबर है कि करीब चार महीने पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर और सैनिकों की तैनाती के अपने प्रस्ताव का चीन ने ही उल्लंघन किया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में अपनी स्थिति मजबूत की है और चुपके से अपने सैनिकों की संख्या भी बढ़ा दी है. बता दें कि भारत और चीन के बीच इस प्रस्ताव पर सहमति बनी थी कि दोनों देश अब अपने सैनिक नहीं बढ़ाएंगे. लेकिन चीन ने इस प्रस्ताव का उल्लंघन किया है.
दरअसल पिछले साल सितंबर में दोनों देशों की ओर से बयान जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि दोनों देश ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएंगे जिससे स्थिति और जटिल हो जाए. सेना के सूत्रों के मुताबिक चार महीने बाद चीन ने इसका उल्लंघन किया है. इंडिया टुडे ने दावा किया है कि चीन चोरी-छिपे लद्दाख के देपसांग में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है और दौलत बेग ओल्डी के पास नई जगहों पर तैनाती कर रहा है.
इससे पहले रविवार को भारत-चीन सेना के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के चीन की ओर स्थित मोल्दो सीमावर्ती क्षेत्र में पूर्वाह्न दस बजे शुरु हुई थी. इससे पहले, छह नवंबर को हुई आठवें दौर की वार्ता में दोनों पक्षों ने टकराव वाले खास स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने पर व्यापक चर्चा की थी.
वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन कर रहे हैं. भारत लगातार यह कहता आ रहा है कि पर्वतीय क्षेत्र में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और तनाव को कम करने की जिम्मेदारी चीन की है.
कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की वार्ता 12 अक्टूबर को हुई थी, जिसमें चीन ने पेगोंग झील के दक्षिणी तट के आसपास सामरिक महत्व के अत्यधिक ऊंचे स्थानों से भारतीय सैनिकों को हटाने पर जोर दिया था. लेकिन भारत ने टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया एक ही समय पर शुरू करने की बात कही थी.
पूर्वी लद्दाख में विभिन्न पवर्तीय क्षेत्रों में भारतीय थल सेना के कम से कम 50,000 जवान युद्ध की तैयारियों के साथ अभी तैनात हैं. दरअसल, गतिरोध के हल के लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता में कोई ठोस नतीजा हाथ नहीं लगा है.
अधिकारियों के अनुसार चीन ने भी इतनी ही संख्या में अपने सैनिकों को तैनात किया है. पिछले महीने, भारत और चीन ने भारत-चीन सीमा मामलों पर ‘परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्यकारी तंत्र’ (डब्ल्यूएमसीसी) ढांचा के तहत एक और दौर की राजनयिक वार्ता की थी, लेकिन इस वार्ता में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला था.
छठें दौर की सैन्य वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने अग्रिम मोर्चों पर और सैनिक नहीं भेजने, जमीनी स्थिति में बदलाव करने के एकतरफा प्रयास नहीं करने तथा विषयों को और अधिक जटिल बनाने वाली किसी भी गतिविधि से दूर रहने सहित कई फैसलों की घोषणा की थी.
(इनपुट भाषा)
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें देश की और अन्य ताजा-तरीन खबरें