
Lal Bahadur Shastri Death Anniversary: देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से जुड़ी वो अहम बातें, जो सभी को जाननी चाहिए
Lal Bahadur Shastri Death Anniversary: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले शास्त्री जून 1964 से जनवरी 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. उन्होंने अपनी विनम्र स्वाभाव, मृदुभाषी व्यवहार और आम लोगों से जुड़ने की क्षमता से भारत की राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी है.

Lal Bahadur Shastri Death Anniversary: आज ही के दिन देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) का ताशकंद में निधन हो गया था. आज 11 जनवरी, 2022 को उनकी 56वीं पुण्यतिथि है. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले शास्त्री जून 1964 से जनवरी 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. उन्होंने अपनी विनम्र स्वाभाव, मृदुभाषी व्यवहार और आम लोगों से जुड़ने की क्षमता से भारत की राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी है. देश के दिवंगत पीएम की 56वीं पुण्यतिथि पर हम यहां दस प्वाइंट में उनके जीवन के कुछ अहम पहलुओं के बारे में जानेंगे.
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लाल बहादुर शास्त्री की जिंदगी के बारे में जानिए कुछ खास
1- देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म दो अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ. महज डेढ़ साल की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया, जिसके बाद उनकी मां ने परिवार का पालन-पोषण किया.
2- कुछ समय बाद शास्त्री पढ़ाई के लिए वाराणसी चले गए और वहीं अपनी आगे की पढ़ाई की. शास्त्री तब महज 16 साल के थे जब वो महात्मा गांधी के आह्वान पर असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए.
3- शास्त्री बाद में वाराणसी के काशी विद्या पीठ चले गए, जहां कई राष्ट्रवादियों और बुद्धिजीवियों के प्रभाव में आए. ‘शास्त्री’ शैक्षणिक संस्थान से उन्होंने स्नातक की डिग्री ली.
4- शास्त्री ने देश की आजादी में भी खूब महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान करीब सात तक जेल में भी रहे.
5- साल 1946 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तब उन्हें उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया.
6- साल 1951 लाल बहादुर शास्त्री नई दिल्ली आ गए. यहां उन्होंने रेल, परिवहन और संचार, वाणिज्य और उद्योग मंत्री सहित कैबिनेट में कई पदों पर काम किया.
7- रेलमंत्री के रूप में उनकी कार्यकाल के दौरान एक रेल दुर्घटना में कई लोगों की जान चली गई. इससे वो इतने हताश हुए कि दुर्घटना के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हुए पद से इस्तीफा दे दिया.
8- साल 1964 में देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने. उन्होंने देश की खाद्य और डेयरी उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के लिए हरित क्रांति और श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिया.
9- 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्होंने देश में ‘भोजन की कमी’ के बीच सैनिकों और किसानों का मनोबल बढ़ाने के लिए ‘जय जवान’ ‘जय किसान’ का नारा दिया. उस समय उन्होंने अपना वेतन तक लेना बंद कर दिया था.
10- 11 जनवरी, 1966 में ताशकंद में उनकी मृत्यु हो गई. वहां वो पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति एम अयूब खान के साथ युद्धविराम की घोषणा पर हस्ताक्षर करने और युद्ध को समाप्त करने पहुंचे थे.
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