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बेंगलुरु: एक प्रेमी जोड़ी की प्रेम कहानी में ऐसा मोड़ आया, जहां अप्राकृतिक यौन संबंध की चाह ने वैवाहिक जीवन को बुरी तरह संकट में दाल दिया. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई में एक जोड़े की मुलाकात हुई थी. उन्होंने विवाह कर लिया और बेंगलुरू में रहने लगे लेकिन पति अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए पत्नी पर दबाव बनाने लगा और प्रताड़ित कर रहा था. पति का व्यवहार और खराब हो गया और महिला ने अपने पति को हमेशा के लिए छोड़ दिया और यह मामला कोर्ट में पहुंच गया. कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपनी पत्नी को अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज करने इनकार कर दिया है.
हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर महिला की अश्लील तस्वीरें पोस्ट करने को लेकर उसके पति के खिलाफ जांच किए जाने के अनुरोध को भी स्वीकार कर लिया. इस जोड़े की मुलाकात भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मुंबई में पीएचडी करते समय हुई थी. दोनों एक दूसरे से प्रेम करने लगे और 2015 में उन्होंने विवाह कर लिया और बेंगलुरू में रहने लगे. महिला का आरोप है कि शुरुआत से ही उसका पति अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए उसे प्रताड़ित कर रहा था.
महिला उसे छोड़कर अपने माता-पिता के पास रहने लगी, लेकिन उसके पति ने उससे वादा किया कि वह उससे जबरदस्ती नहीं करेगा और उसे उसके साथ रहने के लिए राजी कर लिया. महिला ने आरोप लगाया कि इसके बाद उसके पति का व्यवहार और खराब हो गया और उसने जनवरी 2016 में अपने पति को हमेशा के लिए छोड़ दिया.
इसके बाद, आरोपी ने महिला के पिता के फेसबुक खाते और उसके दो मित्रों के व्हाट्सऐप नंबर पर उसकी अश्लील तस्वीरें भेजीं, जिसके बाद महिला ने अपने गृह राज्य छत्तीसगढ़ में एक आपराधिक मामला दर्ज कराया, जिसे बेंगलुरु पुलिस को हस्तांतरित कर दिया गया. महिला ने अपनी सास को भी मामले में आरोपी बनाया था, लेकिन हाईकोर्ट ने 2019 में आरोपी की मां के खिलाफ मामला खारिज कर दिया था.
महिला और उसके पति ने विभिन्न आधार पर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. पति ने अपने खिलाफ दर्ज मामला खारिज किए जाने का अनुरोध किया, जबकि पत्नी ने अपनी याचिका में कहा कि पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र में उसके मामले को जानबूझकर कमजोर किया गया. उसने आरोप लगाया कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपराधों की ठीक से जांच नहीं की गई.
न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने दोनों याचिकाओं पर साझा फैसला सुनाते हुए कहा, ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया है, जो पति की बेगुनाही साबित करता हो. अदालत ने पत्नी की याचिका स्वीकार कर ली और पुलिस आयुक्त को एक अन्य जांच अधिकारी के जरिए मामले में आगे की जांच कराने का आदेश दिया. अदालत ने कहा कि दो महीने के भीतर न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए. जांच रिपोर्ट दाखिल होने के बाद मामले में आगे की सुनवाई होगी. (भाषा )
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