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Love Jihad Law Latest Update: SC ने योगी और रावत सरकार को नोटिस किया जारी, चार दिन में मांगा जवाब

Love Jihad Law Latest Update: सुप्रीम कोर्ट ने लव जिहाद कानून के विवादास्पद प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है और कोर्ट ने योगी और रावत सरकार को नोटिस जारी कर चार दिन में मांगा है.

Published: January 6, 2021 1:46 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Kajal Kumari

Supreme Court of India
Supreme Court of India

Love Jihad Law Latest Update: अंतर धार्मिक विवाह के नाम पर धर्मांतरण को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में लागू ‘एंटी लव जिहाद’ कानूनों के विवादास्पद प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार किया है.हालांकि, कोर्ट विवादास्पद कानूनों की समीक्षा करने पर राजी हो गया है,  कोर्ट अब इन कानूनों की संवैधानिकता की जांच करेगा. यही कारण है कि कोर्ट ने राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर चार दिनों में इस संबंध में जवाब मांगा है.

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आपको बता दें कि याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश में हाल ही में बने लव जिहाद कानून की वैधता को चुनौती देने का काम किया था. जिसपर आज सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की खंडपीठ ने विशाल ठाकरे एवं अन्य और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सितलवाड़ के गैर-सरकारी संगठन ‘सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस’ की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड की सरकारों को नोटिस जारी किया है.

हालांकि न्यायालय ने संबंधित कानून के उन प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके तहत शादी के लिए धर्म परिवर्तन की पूर्व अनुमति को आवश्यक बनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकार को नोटिस जारी करते हुए 4 हफ्ते में जवाब मांगा है.

क्या है लव जिहाद

बता दें कि ‘लव जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल वैसी शादी के लिए किया जाता है, जिसमें कोई मुस्लिम पुरुष धर्मांतरण के इरादे से किसी महिला से शादी कर लेता है. इसे साथ ही वह उसका धर्म परिवर्तन कराने का काम करता है. साल 2009 में केरल और कर्नाटक के क्रमशः कैथोलिक और हिंदू समूहों ने आरोप लगाया था कि उनके समुदाय की महिलाओं का जबरन इस्लाम में धर्मांतरण कराने का काम कुछ लोग कर रहे हैं.

इस वाकये के बाद ‘लव जिहाद’ शब्द का पहली बार इस्तेमाल देखने को मिला. यहां चर्चा कर दें कि यह 2014 में उत्तर प्रदेश में उपचुनाव के दौरान पहली बार प्रचलित हुआ, जब भाजपा इसे व्यापक तौर पर लोगों के बीच ले गई.

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