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लगभग पूरे देश के घरों तक पाइप लाइन से पहुंचेगी रसोई गैस, केंद्र सरकार ने बताया प्लान

केंद्र सरकार ने संसद में कहा कि भारत के 82 प्रतिशत से अधिक भूमि क्षेत्र और 98 प्रतिशत आबादी को पाइप से रसोई गैस की आपूर्ति के दायरे में लाया जाएगा.

Published: March 28, 2022 8:36 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Zeeshan Akhtar

LPG Gas Price
हर राज्य में अलग-अलग होती है सिलेंडर की कीमत

नई दिल्ली: देश की लगभग 98 प्रतिशत आबादी तक रसोई गैस की सप्लाई पाइप लाइन के जरिये की जाएगी. केंद्र सरकार ऐसा प्लान बना रही है. केंद्र सरकार ने संसद में कहा कि विस्तार कार्य के नए दौर के बाद, भारत के 82 प्रतिशत से अधिक भूमि क्षेत्र और 98 प्रतिशत आबादी को पाइप से रसोई गैस की आपूर्ति के दायरे में लाया जाएगा. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि विस्तार कार्य के लिए बोलियां इसी साल 12 मई को खोली जाएंगी. पुरी ने कहा कि बोली प्रक्रिया पूरी होने के बाद, बुनियादी ढांचे को तैयार करने में कुछ निश्चित समय लगता है. उन्होंने कहा, ‘‘11वें दौर की बोली के बाद, 82 प्रतिशत से अधिक भूमि क्षेत्र और 98 प्रतिशत आबादी दायरे में आ जाएगी ताकि घरों में पाइप से रसोई गैस की आपूर्ति हो सके.’’

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दुर्गम होने के कारण केवल पूर्वोत्तर क्षेत्र और जम्मू कश्मीर के कुछ क्षेत्र ही इसके दायरे से बच जाएंगे. उन्होंने कहा कि पाइप के माध्यम से आने वाली रसोई गैस सिलेंडर के जरिए आपूर्ति होने वाली गैस की तुलना में सस्ती और अधिक उपभोक्ता अनुकूल है. पुरी ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को मुफ्त एलपीजी सिलेंडर दिए गए. उन्होंने कहा कि आज गैस सिलेंडरों की संख्या 30 करोड़ हो गई है जो 2014 में कुल 14 करोड़ थी. उन्होंने कहा, “हम पूरी आबादी को कवर करेंगे और यह काम प्रगति पर है.” उन्होंने कहा कि सरकार का प्रस्ताव कुल 1,000 एलएनजी स्टेशन स्थापित करने का है और उनमें से 50 एलएनजी स्टेशन अगले कुछ वर्षों में स्थापित किए जाएंगे.

पुरी ने कहा कि राज्य सार्वजनिक परिवहन प्रदाताओं और कुछ अन्य राज्य उद्यमों को थोक दरों पर डीजल की आपूर्ति की जा रही थी. इस कीमत में डीलर कमीशन आदि शामिल नहीं होते. उन्होंने कहा कि महामारी और दुनिया के एक हिस्से में सैन्य कार्रवाई के बाद, वैश्विक तेल की कीमतों में भारी वृद्धि हुई. उन्होंने कहा कि इस वजह से थोक विक्रेताओं को आपूर्ति खुदरा आपूर्ति की तुलना में अधिक महंगी हो गई.

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