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पीएम मोदी ने की मन की बात-डिजिटल ट्रांजैक्शन, वैदिक मैथ्स से लेकर जल संरक्षण के बारे में की चर्चा, जानिए क्या कहा

पीएम मोदी आज मन की बात कार्यक्रम के जरिए देश की जनता से बातचीत की और उनके सवालों के जवाब भी दिए. पीएम ने कहा कि लोग डिजिटल लेनदेन कर रहे हैं जो खुशी की बात है. हर रोज 20,000 करोड़ रुपये का ऑनलाइन लेनदेन हो रहा है.

Updated: April 24, 2022 12:10 PM IST

By Kajal Kumari

पीएम मोदी ने की मन की बात-डिजिटल ट्रांजैक्शन, वैदिक मैथ्स से लेकर जल संरक्षण के बारे में की चर्चा, जानिए क्या कहा
pm man ki baat

PM Modi Man Ki Baat: पीएम नरेन्द्र मोदी आज मन की बात कार्यक्रम के 88वें एपिसोड के जरिए देशवासियों को संबोधित किया. इस कार्यक्रम की शुरुआत में उन्‍होंने प्रधानमंत्री संग्रहालय का जिक्र किया और कहा कि आज हम आजादी का महोत्‍सव मना रहे हैं. पीएम ने आज लोगों से डाक टिकट से जुड़े देश में मौजूद म्‍यूजियम और रेल म्‍यूजियम के बारे में भी सवाल किया. पीएम मोदी ने कहा कि देश को एक ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ मिला है, इसे देश की जनता के लिए खोल दिया गया है. यह गर्व की बात है कि हम पीएम के योगदान को याद कर रहे हैं, देश के युवाओं को उनसे जोड़ रहे हैं.

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पीएम संग्रहालय जरूर जाएं युवा

पीएम मोदी ने कहा कि लोग संग्रहालयों को कई वस्तुएं दान कर रहे हैं, और भारत की सांस्कृतिक विरासत को जोड़ रहे हैं. कोविड महामारी के बीच संग्रहालयों के डिजिटलीकरण पर ध्यान बढ़ गया है. आने वाली छुट्टियों में युवा अपने दोस्तों के साथ संग्रहालय जरूर जाएं.

शहर से लेकर गांव तक हो रहा है डिजिटल लेनदेन

मन की बात के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि लोगों को ‘कैशलेस डेआउट’ के लिए जाना चाहिए, अब छोटे गांवों और कस्बों में भी लोग यूपीआई का उपयोग कर रहे हैं. इससे दुकानदारों और ग्राहकों दोनों को फायदा हो रहा है. ऑनलाइन भुगतान एक डिजिटल अर्थव्यवस्था विकसित कर रहा है, हर रोज 20,000 करोड़ रुपये का ऑनलाइन लेनदेन हो रहा है.

पीएम मोदी ने वैदिक मैथ्स पर दिया जोर

अब वैज्ञानिक ‘थ्योरी ऑफ एवरीथिंग’ पर चर्चा कर रहे हैं जहां ब्रह्मांड में हर चीज को आत्मसात किया जा सकता है. एक तरफ हमने शून्य का आविष्कार किया और अनंत के विचार की भी खोज की. वेदों और भारतीय गणित में गिनती अरबों ट्रिलियन से आगे जाती है.

हमारे शास्त्रों में वर्णित है कि जल प्रत्येक प्राणी की मूलभूत आवश्यकता है, यह एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है. वाल्मीकि रामायण में जल संरक्षण पर जोर दिया गया था. हड़प्पा सभ्यता के दौरान पानी बचाने के लिए उन्नत इंजीनियरिंग थी.

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