
नेहरू ने अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए गोवा को 15 साल गुलामी में रहने को छोड़ दिया था: PM मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी वैश्विक और शांतिप्रिय अंतरराष्ट्रीय छवि को चकनाचूर होने से बचाने के लिए गोवा में मुक्ति संग्राम करने वाले सत्याग्रहियों की मदद नहीं की

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए आरोप लगाया कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) ने अपनी वैश्विक और शांतिप्रिय अंतरराष्ट्रीय छवि (global and peace-loving international image) को चकनाचूर होने से बचाने के लिए गोवा में मुक्ति संग्राम करने वाले सत्याग्रहियों की मदद नहीं की और इस वजह से इस तटीय राज्य को भारत की आजादी के करीब 15 साल बाद पुर्तगालियों शासन से मुक्ति मिली. पीएम मोदी ने कहा, गोवा के साथ कांग्रेस के अन्याय की वजह से 15 साल ज्यादा गुलामी की जंजीरों में जकड़ कर रखा गया… गोवा के वीर सपूतों को बलिदान देना पड़ा.
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बता दें कि पीएम का बयान तब आया जब गोवा में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया जारी है और इसके तहत वहां 14 फरवरी को मतदान होना है.
Nehru left Goa to fend for itself to protect his global image: PM Modi
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पीएम मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए यह दावा भी किया कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने हैदराबाद और जूनागढ़ सहित अन्य रियासतों को भारत में मिलाने की जो रणनीति अपनाई, अगर नेहरू ने भी उसे अपनाया होता तो गोवा को भारत की आजादी के बाद एक लंबे कालखंड तक इतजार नहीं करना पड़ता.
बता दें कि गोवा के लोगों को 1510 से शुरू हुआ पुर्तगाली शासन 451 सालों तक झेलना पड़ा. इस तटीय राज्य को 19 दिसंबर 1961 को आजादी मिली. भारत के आजाद होने के करीब साढ़े चौदह बाद गोवा को पुर्तगालियों से मुक्ति मिली.
गोवा की आजादी की 60वीं वर्षगांठ का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”सरदार पटेल ने जिस प्रकार से हैदराबाद के लिए रणनीति बनाई, जिस प्रकार से जूनागढ़ के लिए रणनीति बनाई…उनसे प्रेरणा लेकर के गोवा के लिए भी वैसे ही रणनीति बनाई होती तो गोवा को हिंदुस्तान के आजाद होने के 15 साल तक गुलामी में नहीं रहना पड़ता.”
सरदार पटेल ने छोटी-बड़ी करीब 550 रियासतों का भारत में विलय कराया था. प्रधानमंत्री ने उस समय की विभिन्न मीडिया खबरों का हवाला देते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू के लिए उस समय उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि सबसे बड़ी चिंता का विषय थी.
पीएम मोदी ने कहा, नेहरू को लगता था दुनिया में मेरी छवि बिगड़ जाएगी. उनको लगता था कि गोवा की औपनिवेशिक सरकार पर आक्रमण करने से उनकी जो वैश्विक और शांतिप्रिय नेता की छवि है, वह चकनाचूर हो जाएगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि नेहरू ने गोवा को उसके हाल पर छोड़ दिया और वहां सत्याग्रहियों पर गोलियां चलती रही, लेकिन उन्होंने सेना भेजने से इनकार कर दिया.
पीएम मोदी ने कहा, गोवा के साथ कांग्रेस के अन्याय की वजह से 15 साल ज्यादा गुलामी की जंजीरों में जकड़ कर रखा गया… गोवा के वीर सपूतों को बलिदान देना पड़ा.
प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 1955 को लाल किले की प्राचीर से नेहरू के एक भाषण का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने उस वक्त कहा था कि कोई धोखे में ना रहे कि हम वहां फौजी कार्रवाई करेंगे. कोई फौज गोवा हम नहीं भेजेंगे.. मोदी ने कहा कि नेहरू ने देश के नागरिकों को असहाय छोड़ दिया था. उन्होंने कहा कि गोवा के नागरिक कांग्रेस के इस रवैये को कभी भूल नहीं सकते हैं. (इनपुट: भाषा)
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