
Padma Awards: इन पुरस्कार विजेताओं में से कुछ के तो आपने नाम भी नहीं सुने होंगे, चलिए जानते हैं इनके बारे में
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस वर्ष 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 128 पद्म पुरस्कार प्रदान किए जाने को मंजूरी दी. पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किये जाने वाले व्यक्तियों में कई ऐसे नाम भी हैं, जिनके बारे में आपने आजतक सुना भी नहीं होगा. इन्हें गुमनाम योद्धा कहा जाता है, जो गुमनाम रहकर समाज और देश की सेवा करते हैं.

नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस वर्ष 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 128 पद्म पुरस्कार प्रदान किए जाने को मंजूरी दी. पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किये जाने वाले व्यक्तियों में कई ऐसे नाम भी हैं, जिनके बारे में आपने आजतक सुना भी नहीं होगा. इन्हें गुमनाम योद्धा कहा जाता है, जो गुमनाम रहकर समाज और देश की सेवा करते हैं.
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किराना घराने की मशहूर शास्त्रीय गायिका डॉ प्रभा अत्रे को देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण के लिए चुना गया है. प्रभा अत्रे ने यह पुरस्कार अपने माता-पिता, गुरुओं और श्रोताओं को समर्पित किया है. किराना घराना देश में शास्त्रीय संगीत के सबसे प्रसिद्ध घरानों में से एक है. भारत रत्न से सम्मानित पंडित भीमसेन जोशी भी इसी घराने से ताल्लुक रखते थे. हिंदू धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन करने वाले गीता प्रेस के पूर्व अध्यक्ष राधेश्याम खेमका को भी पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा गया.
डॉ. हिम्मतराव बावस्कर को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. बावस्कर के लाल बिच्छू के डंक से हुई मौतों पर अग्रणी शोध को दुनियाभर में चिकित्सा समुदाय ने सराहा था. ऐसे 51 मामलों पर 71 वर्षीय चिकित्सक का काम 1982 में लैंसेट में प्रकाशित हुआ था, जिससे इस विषय में रुचि पैदा हुई और साथ ही जिस तरह से उन्होंने इस पर शोध किया, उसकी सराहना की गई. बावस्कर ने नागपुर से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद रायगढ़ जिले की महाड़ तहसील में एक सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था और वहां 40 वर्षों तक काम करना जारी रखा.
दिवंगत शैवाल गुप्ता और आचार्य चंदना को पद्मश्री सम्मान दिया जा रहा है. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस के पूर्व निदेशक और आद्री के पूर्व सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जा रहा है. आचार्य चंदना जी को सामाजिक कार्य के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है.
पैरालंपिक खेलों में दो स्वर्ण पदक सहित तीन पदक जीतने वाले देवेंद्र झाझरिया को पदम भूषण से नवाजा गया. चालीस वर्षीय झाझरिया ने एथेंस पैरालंपिक 2004 और रियो पैरालंपिक 2016 में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीते थे, जबकि पिछले साल तोक्यो पैरालंपिक में उन्होंने रजत पदक हासिल किया था. पदमश्री पाने वाले अन्य खिलाड़ियों में 20 साल की पैरा निशानेबाज अवनी लेखारा, पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत और पैरा भाला फेंक एथलीट सुमित अंतिल भी शामिल हैं.
मार्शल आर्ट के एक स्वरूप कलारीपयट्टू की कला में माहिर 93 वर्षीय शंकरनारायण मेनन चुंडाइल, पूर्व अंतरराष्ट्रीय मार्शल आर्ट्स चैंपियन फैजल अली दार, भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान 67 वर्षीय ब्रहमानंद संकवालकर और महिला हॉकी खिलाड़ी 29 वर्षीय वंदना कटारिया को भी पदमश्री सम्मान के लिये चुना गया है.
दिवंगत पंजाबी लोक गायक गुरमीत बावा, अभिनेता विक्टर बनर्जी और पूर्व केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है. अमेरिका स्थित पाक कला विशेषज्ञ मधुर जाफरी, गुजरात के धार्मिक शिक्षक स्वामी सच्चिदानंद को पद्म भूषण पुरस्कार के लिए चुना गया है.
कोरोना वायरस के प्रकोप के दौरान जब देश में हाहाकार मचा हुआ था. उस समय हर किसी को इंतजार था एक अदद वैक्सीन का. भारत उन कुछ चुनिंदा देशों में से है, जिन्होंने अपनी स्वदेशी वैक्सीन बनाई. भारत में स्वदेशी वैक्सीन (Covaxin) बनाकर देश को कोरोना के प्रकोप से निजात दिलाने वाले भारत बायोटेक के कृष्णा इल्ला और सुचित्रा इल्ला को पद्म भूषण से नवाजे जाने की घोषणा की गई है. यही नहीं भारत में Covishield वैक्सीन का निर्माण करने वाले पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट के साइरस पूनावाला को भी पद्म भूषण से नवाजे जाने की घोषणा की गई है.
भारत बायोटेक की सफलता के पीछे उसके चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कृष्णा इल्ला और उनकी पत्नी तथा सह-संस्थापक और संयुक्त प्रबंध निदेशक सुचित्रा इल्ला रही हैं. आणविक जीव विज्ञान में शोध वैज्ञानिक, कृष्णा एला और सुचित्रा एला ने 1996 में भारत बायोटेक की स्थापना की थी. आज, भारत बायोटेक अभिनव टीकों के उत्पादन के मामले में दुनिया की प्रमुख कंपनी है.
सीरम इंस्टिट्यूट के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक साइरस एस पूनावाला हैं. उनकी कंपनी दुनियाभर में उत्पादित और बेची जाने वाली खुराक की संख्या के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन विनिर्माता है (1.5 करोड़ से अधिक खुराक)। इसमें पोलियो वैक्सीन के साथ-साथ डिप्थीरिया, टेटनस, बीसीजी आदि के टीके शामिल हैं. ऐसा अनुमान है कि दुनिया में लगभग 65 प्रतिशत बच्चों को पुणे स्थित कंपनी में बना कम से कम एक टीका जरूर लगा है.
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