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अडानी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर, जांच समिति गठित करने की मांग

अडानी समूह पर लगे आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.

Published: February 6, 2023 10:10 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Zeeshan Akhtar

Supreme Court gets 5 new judges, the Central Govt approves the names recommended by the Collegium
फाइल फोटो

नई दिल्ली: अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों की जांच के लिए समिति गठित करने की मांग की गई है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में मांग की गई है कि समिति के गठन के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए. अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका में बड़े कारोबारी घरानों को दिए गए 500 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण के लिए मंजूरी नीति की निगरानी को लेकर एक विशेष समिति गठित करने के बारे में भी निर्देश देने की मांग की गई है.

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पिछले हफ्ते भी शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें अमेरिका की वित्तीय शोध कंपनी ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ के नाथन एंडरसन और भारत और अमेरिका में उनके सहयोगियों के खिलाफ कथित रूप से निर्दोष निवेशकों का शोषण करने और अडाणी समूह के शेयर मूल्य में ‘कृत्रिम तरीके’ से गिरावट के लिए मुकदमा चलाने की मांग की गई थी. ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ द्वारा अडाणी समूह पर फर्जी लेनदेन और शेयर की कीमतों में हेरफेर सहित कई गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद समूह की कंपनियों के शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आई है.

वहीं, अडाणी समूह ने कहा है कि वह सभी कानूनों और सूचना प्रकट करने संबंधी आवश्यकताओं का अनुपालन करता है. तिवारी ने अपनी याचिका में कहा है कि जब विभिन्न कारणों से शेयर बाजार में शेयर में गिरावट की स्थिति उत्पन्न होती है तो ‘‘लोगों की स्थिति बदहाल हो जाती है.’’ याचिका में कहा गया है, ‘‘बहुत से लोग ऐसे शेयर में जीवन भर की जमा पूंजी लगाते हैं, ऐसे शेयरों में गिरावट के कारण उन्हें जोर का झटका लगता है, जिससे बड़ी मात्रा में पैसे गंवा देते हैं.’’

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का संदर्भ देते हुए याचिका में कहा गया है कि, इससे विभिन्न निवेशकों के लिए बड़ी राशि का नुकसान हुआ है जिन्होंने ऐसे शेयरों में अपने जीवन की काफी बचत राशि का निवेश किया है. याचिका में दावा किया गया है कि देश की अर्थव्यवस्था पर ‘‘बड़े पैमाने पर हमले किए जाने’’ के बावजूद इस मुद्दे पर प्राधिकारों द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. याचिका में कहा गया, ‘‘यह अंततः सार्वजनिक धन है जिसके लिए प्रतिवादी (केंद्र और अन्य) जवाबदेह हैं और ऐसी उच्च हिस्सेदारी वाली ऋण राशि के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया और स्वीकृति नीति के साथ ऐसे ऋणों के जोखिम को कम करने के लिए सख्ती की आवश्यकता है.’’ याचिका में केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) सहित अन्य को प्रतिवादी बनाने की मांग की गई है.

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Published Date: February 6, 2023 10:10 PM IST