
The modi Story Part 3: यहां साथियों के लिए चाय बनाने के साथ बर्तन मांजते थे पीएम मोदी
Humans of Bombay नाम के सोशल मीडिया पेज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन की कहानी का तीसरा भाग छप गया है.

Humans of Bombay नाम के सोशल मीडिया पेज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन की कहानी का तीसरा भाग छप गया है. The modi Story Part 3 में उनके बारे में कई रोचक जानकारियां हैं. यहां पर प्रधानमंत्री के बारे में पांच सीरीज में स्टोरी छपेगी. सीरीज की तीसरी कहानी में पीएम मोदी हिमालय से लौटने के बाद के दिनों के बारे में बता रहे हैं. इसमें पीएम मोदी ने बताया है कि कैसे हिमालय से लौटने के बाद वह अहमदाबाद गए और वह संघ के एक प्रचारक बन गए लेकिन इसके बावजूद उनके पास जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए आत्मचिंतन करने का समय था.
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सोशल मीडिया पेज Humans of Bombay ने इंस्टाग्राम पर यह कहानी पोस्ट की है. इस कहानी में पीएम मोदी कहते हैं- हिमालय से लौटने के बाद मुझे समझ में आ गया कि मुझे दूसरों की सेवा में अपना जीवन लगाना है. लौटने के तुरंत बाद मैं अहमदाबाद के लिए निकल गया. एक बड़े शहर में रहने का यह मेरा पहला अनुभव था. जीवन में शांति बहुत अलग चीज थी. मैंने वहां पर अंकल की कैंटीन में उनकी सहायता करने के साथ रहना शुरू किया. उसी समय मैं राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का पूर्णकालिक प्रचारक बन गया. इस दौरान मुझे अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों के साथ बातचीत करने का मौका मिला. इस दौरान हम सभी मिलकर संघ कार्यालय की साफ सफाई करते थे. साथियों के लिए चाय और खाना बनाते थे और बर्तन मांजते थे. जीवन कठिन और व्यस्थ था. लेकिन मेरी इन सभी जिम्मेदारियों के बीच मैंने तय किया था कि मैं हिमालय पर रहने के दौरान मिली सीख को बेकार नहीं जाने दूंगा.
वह आगे बताते हैं- मैंने यह सुनिश्चित किया कि हिमालय से मिली शांति पर मैं जीवन के इस चरण को हावी नहीं होने दूंगा. मैंने हर साल कुछ समय निकालने और आत्मचिंतन करने का फैसला किया. जीवन में संतुलन साधने का यह मेरा अपना तरीका है. काफी लोगों को यह पता नहीं है कि दिवाली के समय मैं पांच दिनों के लिए किसी जंगल में निकल जाता था. ऐसी जगह जहां केवल स्वच्छ पानी हो. कोई इंसान न हो. इन पांच दिनों के लिए मैं पर्याप्त मात्रा में भोजन रख लेता था. वहां पर कोई रेडियो नहीं था कोई अखबार नहीं था. उन दिन वैसे भी टीवी और इंटरनेट नहीं थे. इन पांच दिनों में मुझे जो ताकत मिलती थी उससे मुझे जीवन को साधने में मदद मिली. लोग अक्सर मुझसे पूछते थे कि तुम किससे मिलने जा रहे हो… तो मेरा जवाब होता था कि मैं मुझसे मिलने जा रहा हूं.
पीएम ने आगे बताया है- इसलिए मैं हमेशा सभी से खासकर मेरे युवा दोस्तों से आग्रह करता हूं कि वे अपनी भागदौड़ की जिंदगी के बीच कुछ समय अपने लिए निकालिए और चिंतन व आत्मचिंतन कीजिए. इससे आपका नजरिया बदलेगा. इससे आप अपने आप को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं.
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