
PM Modi Speech Highlights: कांग्रेस ना होती तो क्या होता....पीएम मोदी ने एक-एक कर गिनाईं विपक्ष की गलतियां
पीएम नरेंद्र मोदी आज राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव का अनुमोदन कर रहे थे. उन्होंने इस दौरान विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर जमकर हमला बोला और और एक-एक कर कांग्रेस की गलतियां गिनाईं. पीएम ने तंज कसते हुए पूछा कि कांग्रेस ना होती तो क्या होता....जानिए भाषण की मुख्य बातें.

PM Modi Speech Highlights: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव का अनुमोदन किया. इससे पहले पीएम मोदी ने अपने भाषण में कांग्रेस पर जमकर निशाने साधा. पीएम ने एक के बाद एक सवाल दागे और उनका जवाब देते हुए कहा कि अगर कांग्रेस न होती तो क्या होता…इस तरह से सवालों का सिलसिला शुरू करते हुए पीएम ने कहा कि अगर कांग्रेस ना होती तो देश का लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्त होता, भारत विदेशी चश्मे के बजाए स्वदेशी संकल्पों के रास्ते पर चलता, अगर कांग्रेस न होती तो आपातकाल का कलंक न होता, अगर कांग्रेस न होती तो दशकों तक भ्रष्टाचार को संस्थागत बनाकर नहीं रखा जाता.
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- फिर उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस न होती तो जातिवाद और क्षेत्रवाद की खाई इतनी गहरी न होती, अगर कांग्रेस न होती तो सिखों का नरसंहार न होता, सालों साल पंजाब आतंकी आग में न जलता, अगर कांग्रेस न होती तो कश्मीर के पंडितों को कश्मीर छोड़ने की नौबत न आती.
- अगर कांग्रेस न होती तो बेटियों को तंदूर में जलाने की घटनाएं न होतीं, अगर कांग्रेस न होती तो देश के सामान्य मानवी को मूल सुविधाओं के लिए इतने सालों तक इंतजार न करना पड़ता.
- पीएम ने कहा कि कांग्रेस की परेशानी ये है कि उन्होंने डायनेस्टी के आगे कुछ सोचा ही नही. भारत को सबसे बड़ा खतरा परिवारवादी पार्टियों का है. मैं चाहता हूं कि सभी राजनीतिक दल लोकतांत्रिक मूल्यों और आदर्शों को अपने दलों में भी विकसित करें.
- पीएम मोदी ने गोवा की स्वतंत्ता को लेकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु को भी घेर लिया. उन्होंने कहा कि अगर सरदार पटेल की तरह ही कोई रणनीति बनाने वाला नेता होता, तो गोवा की आजादी में इतना लंबा समय नहीं लगता. लेकिन कुछ नेताओं को अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि की चिंता थी, इसलिए उन्होंने गोवा में फौज भेजने से साफ इनकार कर दिया था.
- कुछ लोग ये ही मानते हैं कि हिन्दुस्तान 1947 में पैदा हुआ और भारत में पिछले 75 सालों में जिसको 50 साल काम करने का मौका मिला उनकी नीतियों पर भी इस मानसिकता का प्रभाव रहा जिससे कई विकृतियां पैदा हुई हैं. ये लोकतंत्र आपकी मेहरबानी से नहीं है.
- कुछ दल के बड़े नेताओं ने पिछले दो साल में जो अपरिपक्वता दिखाई है उससे देश को बहुत निराशा हुई है. हमने देखा कि कैसे राजनीतिक स्वार्थ में खेल खेले गए, भारतीय वैक्सीन के खिलाफ मुहिम चलाई गई.
- इस सदन में कुछ साथियों ने भारत की निराशाजनक तस्वीर पेश की और ऐसा लग रहा था कि उन्हें इसे पेश करने में आनंद भी आ रहा था. मुझे लगता है कि सार्वजनिक जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं और जय-पराजय होती रहती है, उससे छाई हुई व्यक्तिगत जीवन की निराशा कम से कम देश पर नहीं थोपनी चाहिए.
- यूपीए के समय महंगाई डबल डिजिट छू रही थी, आज हम एक एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था हैं जो हाई ग्रोथ और मध्यम मुद्रास्फीति अनुभव कर रहे हैं.
- साल 2021 में एक करोड़ 20 लाख नए ईपीएफओ के पेरोल पर जुड़े, इनमें से 60-65 लाख 18 से 25 वर्ष की आयु के हैं. रिपोर्ट बताती है कि कोरोना के पहले की तुलना में कोविड प्रतिबंध खुलने के बाद नियुक्तियां दोगुनी बढ़ गई हैं.
- नैसकॉम के अनुसार 2017 के बाद 27 लाख रोजगार आईटी सेक्टर में प्राप्त हुआ। 2021 में भारत में जितने यूनिकॉर्न बने वो पहले के वर्षों में बने कुल यूनिकॉर्न से भी ज़्यादा हैं। अगर ये सब रोजगार की गिनती में नहीं आता तो फिर ये रोजगार से ज़्यादा राजनीति की चर्चा ही मानी जाती है.
- इस कोरोना काल में 80 करोड़ से भी अधिक देशवासियों के लिए इतने लंबे कालखंड के लिए मुफ़्त में राशन की व्यवस्था की गई, ताकि ऐसी स्थिति कभी पैदा न हो कि उनके घर का चूल्हा न जले. भारत ने ये काम करके दुनिया के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है.
- कांग्रेस के सोचने के तरीकों पर अर्बन नक्सलों ने कब्जा कर लिया है और इसलिए उनकी सोच और गतिविधि विनाशकारी बन गई है. अर्बन नक्सल ने बहुत चालाकीपूर्वक कांग्रेस की दुर्दशा का फायदा उठाकर उसके विचार प्रवाह पर कब्जा कर लिया है और इसलिए ये बार-बार बोल रहे हैं कि इतिहास बदल रहा है.
- हमारी सोच कांग्रेस की तरह संकीर्ण नहीं है, हम संकीर्ण सोच के साथ काम करने वाले लोग नहीं हैं. जिनको दशकों तक सरकार चलाने का मौका मिला उन्होंने लगभग 100 बार राष्ट्रपति शासन लाकर चुनी हुई राज्य सरकारों को उखाड़कर फेंक दिया.
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