'मनमोहन को अपना गुरु और मार्गदर्शक मानते हैं राहुल, अनादर का सवाल ही नहीं'

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि उस वक्त राहुल ने राजनीति की गंगा को साफ करने के लिए जो रुख जताया था उस पर हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने भी मुहर लगाई.

Published: February 17, 2020 9:44 PM IST

By India.com Hindi News Desk | Edited by Amit Kumar

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सोनिया गांधी और राहुल गांधी (फाईल फोटो)

नई दिल्ली: कांग्रेस ने 2013 में राहुल गांधी के अध्यादेश की प्रति फाड़ने के बाद मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के विचार से जुड़े एक दावे को लेकर सोमवार को कहा कि राहुल पूर्व प्रधानमंत्री को अपना गुरु एवं मार्गदर्शक मानते हैं और ऐसे में उनके अनदार का सवाल ही नहीं पैदा होता.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि उस वक्त राहुल ने राजनीति की गंगा को साफ करने के लिए जो रुख जताया था उस पर हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने भी मुहर लगाई.

पूर्ववर्ती योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के दावे के बारे में पूछे जाने पर सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मनमोहन सिंह जी, जिनको कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और हमारे नेता ने सदैव ही अपना गुरू और मार्गदर्शक कहा है, उनका अनादर करने की राहुल जी और कांग्रेस पार्टी कभी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘ जब राजनीति में आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे नेताओं को माफी देने वाला कानून सारी पार्टियां मिलकर ला रहीं थी, तो इस देश के एक राजनेता ने साहस दिखाया. राहुल गांधी ने यह आत्मबल दिखाया कि पार्टियों की लाइनों से ऊपर उठकर उन्होंने ये कहा कि राजनीति की गंगा को साफ करना आवश्यक है.’’

गांधी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में दागी उम्मीदवारों के संदर्भ में जो निर्णय दिया उससे राजनीति की गंगा साफ करने के राहुल गांधी के रुख पर मुहर लगी है.

दरअसल, अहलूवालिया ने कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 2013 में अध्यादेश की प्रति फाड़ने संबंधी घटनाक्रम के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनसे पूछा था कि क्या उन्हें लगता है कि उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.

अहलूवालिया ने कहा कि उन्होंने सिंह से कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इस मुद्दे पर इस्तीफा देना उचित होगा. सिंह उस समय अमेरिका की यात्रा पर थे.

दोषी करार दिए गए जनप्रतिनिधियों पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को निष्प्रभावी करते हुए संप्रग सरकार द्वारा लाए गए विवादास्पद अध्यादेश की आलोचना कर राहुल गांधी ने अपनी ही सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी थी. उन्होंने कहा था कि यह ‘‘पूरी तरह से बकवास’’ है, जिसे ‘‘फाड़कर फेंक देना चाहिए.’’

(इनपुट भाषा)

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